अमित गोस्वामी, मथुरा
UP News: मथुरा के राधाकुंड में आस्था जो कि किसी को भी अपनी ओर खींच ले। जी हां जहां स्नान करने मात्र से ही सुने आंगन में बच्चों की किलकारियां सुनने को मिल जाती है।
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हम बात कर रहे है एक ऐसी जगह की जहां कान्हा ने अपनी बांसुरी से कुंड बनाया था। ये राधा कुंड कान्हा की नगरी मथुरा से महज 21 किलो मीटर की दुरी पर स्थित राधाकुंड जो कि कान्हा की क्रीड़ा स्थली भी है।
अहोई अष्टमी की मध्य रात्रि को करते हैं स्नान
मान्यता है कि इस कुंड में अहोई अष्टमी की मध्य रात्रि को जो भी निसंतान दम्पति स्नान करता है, उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। इसी के चलते आज यानी अष्टमी की मध्य रात्रि में निसंतान दम्पति स्नानं कर सूनी गोद को भरने की मन्नत लेके राधाकृष्ण के प्रेम के प्रतीक कुंड में स्नान कर रहे है।
कुंड के चारों ओर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा
कुंड के चारों ओर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है, जिसे देखो वहीं पुत्र रत्न पाने को आतुर नजर आ रहा है। ये एक अनूठी आस्था है। इस आस्था के सैलाब के बीच कोई भेदभाव भी नजर नहीं आ रहा है।
कुंड में होती है अमृत वर्षा
आखिर आस्था का संगम जो है कहा जाता है कि इस दिन कुंड में अमृत वर्षा भी होती है। लेकिन ये किन्हीं भक्तों को ही पता च पाता है। ये भी मान्यता है कि आज ही के दिन लीला निधान कान्हा ने इस कुंड का निर्माण अपनी परम प्रिये श्री राधा रानी के साथ मिलकर किया था।