हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश निकाय चुनावों को लेकर बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ओबीसी आरक्षण के बगैर चुनाव समय पर कराए जाएं।
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हाईकोर्ट के फैसले के बाद ओबीसी के लिए आरक्षित सभी सीटें अब जनरल मानी जाएंगी। कोर्ट ने 70 पेज का जजमेंट दिया है। आपको बता दें कि निकाय चुनावों के लिए 5 दिसम्बर को जारी ड्राफ्ट नोटिफिकेशन को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही न्यायालय ने राज्य सरकार को निकाय चुनावों को बिना ओबीसी आरक्षण के ही कराने के आदेश दिए हैं।
यह निर्णय न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने इस मुद्दे पर दाखिल 93 याचिकाओं पर एक साथ पारित किया। हाईकोर्ट ने सरकार द्वारा गत 12 दिसंबर को जारी उस नोटिफिकेशन को भी खारिज कर दिया है जिसके जरिए सरकार ने उन स्थानीय निकायों में प्रशासक तैनात करने की बात कही थी जिनका कार्यकाल शीघ्र पूरा होने जा रहा है।
यह है पूरा मामला
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने प्रदेश के नगर निकाय चुनावों की अधिसूचना जारी करने पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि सरकार ने ओबीसी कोटे का आरक्षण तय करने में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये ट्रिपल टेस्ट फामूर्ले का अनुपालन नहीं किया। यह आदेश जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव की पीठ ने वैभव पांडेय की याचिका पर पारित किया था ।