अमित गोस्वामी, संवाददाता
एक रूप में पुजत है, दूजो रहयौ पुजाय, महिमा या गिरिराज की मांग मांग कै खाय’। ब्रजवासी एक बार फिर गिरिराज महाराज को छप्पन प्रकार के व्यंजन का भोग लगाने के लिए लालायित दिखे। सिर पर व्यंजन की टोकरी लेकर नाचते-गाते और प्रभु गुणगान करते चल रहे थे।
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गोवर्धन में निकली शोभायात्रा से एक बार फिर द्वापर युग का नजारा सजीव हो उठा। इस उत्सव में बड़ी संख्या में विदेशी श्रद्धालु भी शामिल हुए। ठेठ ब्रज की वेषभूषा में सजे विदेशी श्रद्धालु सिर पर माखन, मिश्री, दूध, दही और छप्पन के प्रकार के व्यंजनों की टोकरियां लेकर गोवर्धन की सड़कों पर उतरे तो लोग इस अद्भुत नजारे को एक टक देखते रहे।
गिरधारी गौड़ीय मठ से भक्ति वेदांत तीर्थ महाराज और माधव महाराज के सानिध्य में हजारों देश और विदेश के श्रद्धालु बुधवार सुबह गोवर्धन पूजा के लिए राधाकुंड परिक्रमा मार्ग स्थित राजा वाले मंदिर पर पहुंचे। यहां गिरिराज पर व्यंजन से भरी टोकरियों को सजा कर अपने आराध्य गिरिराज को अन्नकूट और छप्पन भोग प्रसाद अर्पित किया। संतों के सानिध्य में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ संकल्प लेकर कृष्ण भक्तों ने गिरिराज शिला का दुग्धाभिषेक किया और पकवान गिरिराज पर्वत को समर्पित किए। चारों तरफ हरिबोल-हरिबोल के संकीर्तन की धुन गूंज रही थी। इस अवसर पर भक्तिवेदांत वन महाराज, श्रीधर महाराज, सिद्धांती महाराज, मादव महारज, कन्हैया महाराज, नरसिंह महाराज के सानिध्य में भी विदेशी भक्तों ने गोवर्धन की पूजा की। स्थानीय पंडा गिरधारी लाल शर्मा, नीरज शर्मा ने पूजन अर्चन कराया।
गोवर्धन पूजा महोउत्व में दिल्ली , हरियाणा, जालंधर उत्तरप्रदेश के विभिन्न जगहों से अपने लड्डू गोपाल को ले कर गोवर्धन गिरिराज तलहटी पहुँची। राधा कौशिक, मोयनी गौरी शर्मा, पुष्पा शर्मा ने बताया कि यहां गोवर्धन पूजा का अलग ही आनंद है। हर बार वह केवल लड्डू गोपाल के साथ आती हैं। गत दो वर्षों से वह राधा को भी साथ ला रही हैं। गिरिराज पूजा महोत्सव में शामिल होने आईं मोहनी गोपी ने बताया कि कृष्ण की गोवर्धन पूजा लीला श्रेष्ठ है। इसकी पूजा कृष्ण की पूजा है। वह तीन साल से आ रही हैं। गिरिराजजी इच्छा पूर्ण करते हैं।