नोएडा: केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान का कहना है कि उंची जातियों को भी 15 फीसदी आरक्षण दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा की कभी भी ऊंची जातियों के प्रति विरोध की धारणा नहीं रही है। सवर्ण भाजपा की रीढ़ की हड्डी हैं। वो पार्टी के प्राकृतिक सहयोगी हैं।
इंटरव्यू में दिया बयान
एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि एससी/एसटी अधिनियम और पदोन्नति में आरक्षण पर सरकार की स्थिति के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन सरकार के लिए चिंता का विषय नहीं हैं। छह महीने पहले हमने बहुत सारे विरोध झेले हैं, जिससे निपटना मंत्रियों के लिए मुश्किल हो गया था।
आप दलितों के हीरो हैं
उन्होंने कहा कि इस दौरान मोदी सरकार को ‘दलित विरोधी’ और ‘पिछड़ा विरोधी’ बताया गया। लोग मुझसे पूछते थे, ‘पासवान जी, आप दलितों के हीरो हैं, फिर भी आप चुप क्यों हैं?’ दरअसल, यह एक धारणा की समस्या थी। हमने बहुत काम किए हैं और इसी का परिणाम है कि आज लोगों की धारणाएं बदल गई हैं।
दलित विरोधी धारणा कैसे बदल गई
‘छह महीने में सरकार के प्रति लोगों की दलित विरोधी धारणा कैसे बदल गई’ के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह सरकार के लिए एक टेस्ट था जब सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम पर फैसला सुनाया था। इसके विरोध में युवा सड़कों पर उतर गए। मेरा मानना है कि चीजें इतनी खराब नहीं होतीं, अगर अध्यादेश पहले लाया गया होता। इसके बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हमने अध्यादेश लाने का फैसला किया। लेकिन नौकरशाही की एक अपनी गति है। जो कुछ भी होता है, अच्छे के लिए होता है, क्योंकि अगर कोई विरोध नहीं होता, तो लोग जानते ही नहीं कि मोदी ने क्या किया है।
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‘दलित वोट भाजपा से दूर हो गए थे’ के सवाल पर उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर दलित वोट भाजपा से दूर हो गए थे। रोहित वेमुला और जेएनयू विवाद के बाद माहौल खराब हो गया था। मोदी को दलित विरोधी कहा जाने लगा था, लेकिन अब यह स्थिति नहीं है। ‘एससी और एसटी की तुलना में ओबीसी की संख्या ज्यादा हैं। क्या आरक्षण को लेकर उनका विरोध चुनाव परिणामों पर असर डालेगा?’ इस सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा कोई विरोध है ही नहीं, क्योंकि एससी और ओबीसी के बीच खून का रिश्ता है।