नई दिल्ली। रुसे के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन 14 अक्टूबर से भारत यात्रा पर है और इस दौरान वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण के चलते गोवा में आयोजित होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेगें। वहीं ऐसी खबरे सामने आ रहीं है कि इस ब्रिक्स सम्मेलन में भारत और रूस के बीच 3340 करोड़ रुपए के रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे जिसके चलते रूस भारत को जमीन से हवा में मार करने वाली एस-400 मिसाइलों की आपूर्ति करेगा। इस एस-400 एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम से विमानों, मिसाइल्स और ड्रोन्स को निशाना बनाया जा सकेगा और अगर भारत यह डील साइन करता है तो वह चीन के बाद ऐसा सिस्टम खरीदने वाला दूसरा देश बन जाएगा।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रुस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की यात्रा के दौरान भारत और रुस के बीच कई अहम समझौतों को लेकर भी बातचीत की जाएगी। पुतिन अपने इस यात्रा के दौरान ब्रिक्स के अलावा 17वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भी शिरकत करेंगे। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच 5 और समझौतो को लेकर बातचीत जारी है जिनमें एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम, एमआई-17 वी- फाइव मध्यम ट्रांसपोर्ट हेलीकॉप्टर, इंफैट्री कॉम्बैट व्हिकल्स, नेवी के लिए दो डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन और न्यूक्लियर सबमरीन को लीज पर लेने की तैयारी जैसे कई डील लंबित है।
एस -400 मिसाइल की खासियत :-
– एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम एक साथ तीन तरह की मिसाइल दाग सकता है।
– ये मिसाइल सिस्टम एक साथ 36 लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है।
– इसके साथी ही एस-400 मिसाइल 400 किमी दूर तक मौजूद दुश्मन के विमान, मिसाइल और यहां तक कि ड्रोन को भी मार सकती है।
-लेटेस्ट 5वें जनरेशन के मिसालइ को भी मार गिराने की ताकत रखती है एस-400 मिसाइल।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही भारत ने सख्त रुख अपनाते हुए रुस और पाकिस्तान के सैन्य अभ्यास के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराते हुए कहा था कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देश के साथ सैन्य अभ्यास करने से मुश्किलें और बढ़ सकतीं हैं। ये बात भारत के राजदूत पंकज सरन ने रुसी समाचार एजेंसी रिया नोवोस्ती को दिए गए एक इंटरव्यू में कहीं थी। भारत की तरफ से ये बात उस समय कही गई है जब रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 14 अक्टूबर को भारत पहुंचकर द्विपक्षीय बैठक में हिस्सा लेने वाले हैं। हालांकि इस सैन्य अभ्यास को लेकर रुस के विदेश मंत्रालय ने भारत को आश्वस्त किया था कि इस अभ्यास से भारत को चिंता करने की जरुरत नहीं है।