नई दिल्ली। कृषि कानून के विरोध में आज किसान आंदोलन को 10वां दिन है। किसान अपनी मांगो पर अड़े हुए है। जिसके चलते यह आंदोलन दिनों दिन उग्र होता जा रहा है। किसान संगठन और सरकार के बीच आज पांचवे दौर की वार्ता हो रही है। अभी तक कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है। किसानों का कहना है कि तीनों कृषि कानूनों का सरकार वापस ले। इसके साथ ही बैठक में किसानों ने एक बार फिर अपनी मांग दोहराई है और किसान कानून वापस लेने को कहा है। इस बीच सूत्रों के हवाले से खबर आई है कि केंद्र सरकार किसान कानूनों में संशोधन के लिए तैयार है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल किसान नेताओं के साथ बैठक में मौजूद हैं। विज्ञान भवन में हो रही इस बैठक में किसान संगठनों के 40 प्रतिनिधि शामिल हैं।
बैठक में नहीं निकला कोई हल-
बता दें कि सरकार और किसान नेताओं के बीच टकराव की स्थिति है। बैठक में सरकार ने कहा कि कानून रद्द करने के अलावा कोई और रास्ता निकाला जाए। सरकार की तरफ से संशोधन की बात रखी गई। वहीं, दूसरी तरफ किसान नेता कृषि कानून रद्द कराने पर अड़े हैं। सरकार ने संशोधन का प्रस्ताव दिया, जिसे किसान नेताओं ने ठुकरा दिया। मीटिंग से पहले नरेंद्र तोमर ने उम्मीद जताई कि मुझे बहुत उम्मीद है कि किसान सकारात्मक सोचेंगे और अपना आंदोलन समाप्त करेंगे। सूत्रों का कहना है कि सरकार कृषि कानूनों में कुछ बदलाव कर सकती है जिसका प्रस्ताव किसानों के समक्ष रखा जाएगा। वहीं किसानों के समर्थन में भारतीय परिवहन संघ ने 8 दिसंबर से हड़ताल करने का ऐलान किया है। इसके साथ ही खाप महापंचायत की बैठक में बड़ा फैसला लिया गया है। महापंचायत में फैसला लिया गया है वो हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला का सामाजिका बहिष्कार करेंगे। जींद में हुई बैठक में खाप पंचायतों ने ये फैसला लिया। उनके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी विरेंद्र सिंह के बेटे ब्रिजेंद्र सिंह के खिलाफ भी इसी तरह का आदेश महापंचायत में पास किया गया है।
जानें बैठक को लेकर राघव चड्ढा ने क्या कहा-
वहीं इस बैठक को लेकर आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने केंद्र की नीयत पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा, “रोज़ाना हम देख रहे हैं कि ये बैठक कर रहे हैं, इतनी सरल मांगें हैं, तो रोज़ बैठक करने का क्या मतलब है। जिस प्रकार से आप रोज़ बैठक किए जा रहे हैं, उससे आपके नियत पर सवाल खड़ा होता है। अपनी नियत को साफ रखें और देश के किसानों की बात मानें।