KargilVijayDiwas: साल 1999 एक ऐसा दिन जब भारत के वीर जवानों ने अपने प्राण की परवाह किए बिना भारत की सीमाओं में घुसपैठ करने वाले कायर पाकिस्तानी सेनाओं का जमकर मुकाबला करते हुए उन्हें धूल चटाते हुए खदेड़ दिया था।
60 दिनों तक चला था युद्ध
वर्ष 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल का युद्ध 6 मई से 26 जुलाई 1999 तक चला था। हिमालय की दुर्गम पहाड़ियों में समुद्र तल से 12000 फीट हाइट से ऊंचाई 24 000 फीट पर 60 दिनों तक लड़ा गया था।
करगिल का युद्ध अघोषित युद्ध था
करगिल का युद्ध अघोषित युद्ध था। कारगिल के इस युद्ध में भारत के वीर सपूतों के सामने पाकिस्तानी सेनाओं ने 26 जुलाई को घुटने टेक दिए थे। और पीछे हटने का फैसला लेते हुए पाकिस्तान वापस चले गए थे। उस दिन से प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को कारगिल युद्ध में शहीद हुए भारतीय वीर जवानों के यादों में कारगिल विजय दिवस मनाया जाने लगा। यह दिवस स्वतंत्र भारत के सभी देशवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण दिवस माना जाता है।
ऑपरेशन बद्र
फरवरी 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु समझौते को लेकर लाहौर में एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए गए। जिसमें कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से हल करने की बात कहीं गई थी। लेकिन इस दौरान पाकिस्तान, कश्मीर और लद्दाख से भारतीय सेनाओं के बीच कड़ी तोड़ने के साथ ही उन्हें सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था। जिसे लेकर पाकिस्तान अपने सैनिक और अर्धसैनिक बलों को छिपाकर घुसपैठ कराना शुरू कर दी थी। पाकिस्तान इस घुसपैठ का नाम “ऑपरेशन भद्र” रखा था।
ऑपरेशन विजय
पाकिस्तान के इस घुसपैठ और रणनीति की जानकारी भारतीय सेनाओं को लग गई थी। पाकिस्तान द्वारा हमले की योजना को देखते हुए भारत सरकार ने “ऑपरेशन विजय” नाम से 20,0000 सैनिकों को पाकिस्तानियों से मोर्चा लेने के लिए तत्काल भेज दिया था।
ऑपरेशन सफेद सागर
कारगिल के इस युद्ध में पाकिस्तानियों के खिलाफ जंग में लड़ रहे भारतीय थल सेना के साथ कदम से कदम मिलाने के लिए भारतीय वायु सेना ने 26 मई को ऑपरेशन सफेद सागर शुरू किया था। इस दौरान भारतीय थल और वायुसेना की मदद में पाकिस्तानियों के खिलाफ खड़ा भारतीय जल सेना कराची तक पहुंचने वाले समुद्री मार्ग से सप्लाई रोकने के लिए अपने पूर्वी इलाकों के जहाजी बेड़ों को अरब सागर में ला खड़ा किया था।
कारगिल युद्ध की वजह
कारगिल युद्ध का सबसे मुख्य कारण कश्मीर के कारगिल क्षेत्र में नियंत्रण रेखा के जरिये घुसपैठ करने की साजिश थी। जिसमें पाकिस्तानी सेना कश्मीर हथियाने और भारत को अस्थिर करने के फिराक में द्रास-कारगिल की पहाड़ियों पर कब्जा करने की कोशिश की थी। भारतीय सेनाओं ने अपने शौर्य और पराक्रम का परिचय देते हुए पाकिस्तानी सेना तथा मुजाहिदीनों के रूप में उसके पिट्ठुओं को वहां से खदेड़ने का काम किया था । इस युद्ध के पीछे सबसे बड़ा हाथ तत्कालीन पाकिस्तानी सैन्य प्रमुख परवेज मुशर्रफ का माना जाता है।
युद्ध का परिणाम
पाकिस्तान द्वारा अचानक से किए गए इस हमले का मुंहतोड़ जवाब देते हुए भारतीय वीर सपूतों ने पाकिस्तानी सेनाओं को मुंहतोड़ जवाब दिया था। भारतीय जवानों ने पाकिस्तान को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था। 26 जुलाई 1999 को इस युद्ध को पूर्ण विराम लगा। इस युद्ध के दौरान पाकिस्तानियों से लोहा लेते हुए 550 सैनिकों ने अपने प्राणों का बलिदान दे दिया, तो वही 1400 के करीब सैनिक इस लड़ाई में गंभीर रूप से घायल हुए थे।