नई दिल्ली। भगवान शिव और उनका नामों की महिमा से अपरमपार है। भगवान शिव का नाम समस्त मंगलों का मूल एवं अमंगलों का उल्मूलक है। शिव, शंभु और शंकर, ये तीन नाम उनके मुख्य हैं। इनके अलावा भगवान भोले शंकर को सहसत्र नामों और स्वरूपों से जाना जाता है। भोले भंडारी औघड़ दानी शिवशंभू जैसे सहस्त्र नामों ने भगवान शिव शंकर को जाना जाता है।
सावन महीने की आज मासिक शिवरात्रि हैं। वैसे तो हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि आती है लेकिन सावन महीने में पड़ने वाली शिवरात्रि का खास महत्व है माना जाता है कि भगवान भोलेनाथ की अराधना करने से भोलेनाथ अपने भक्तों की पुकार बहुत जल्दी सुन लेते है और उनकी मनोकामना पूर्ण करते हैं। सभी शिव के भक्तों को फाल्गुन महीने के बाद सावन महीने की शिवरात्रि का खास तौर पर इंतजार रहता गै इस शिवरात्रि का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योकिं सावन में भगवान शिव का जल अभिषेक करना बहुत पुण्य माना जाता है।
सावन के पूरे महीने शिवभक्त बम भोले हर हर महादेव के नारे लगाते भगवान शिव की भक्ति में डुबे नजर आते हैं शिवरात्रि के दिन भगवान शिव के जलाभिषेक करने के लिए भक्त हरिद्वार गौमुख से कावड़ लेकर आते है और शिवलिंग पर चढ़ाते है। ऐसा माना जाता है कि सावन महीने की शिवरात्रि को दिन जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं उनकी परे
शानियों का निवारण बहुत जल्दी हो जाता है।
21 जुलाई को रात्रि 9 बजकर 49 मिनट से चतुर्दशी तिथि से आरंभ होगी और अगले दिन यानि 22 जुलाई को शाम 6 बजकर 27 मिनट तक रहेगी।