अल्मोड़ा। बाघ की हड्डी की तस्करी के मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट अभिषेक कुमार की अदालत ने अभियुक्त राजेंद्र सिंह रावत पुत्र जीत सिंह रावत को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 में तीन साल की सश्रम कारावास और 10 हजार रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया।
अभियोजन कहानी के अनुसार 7—08—2013 को समय 7: 15 बजे उपनिरीक्षक प्रकाश सिंह मेहरा, कांस्टेबल कुंदन वर्मा, कांस्टेबल संदीप राम, उपनिरीक्षक प्रकाश सिंह मेहरा, कांस्टेबल कुंदन वर्मा, कांस्टेबल संदीप राम वन दरोगा भूपाल सिंह भाकुनी, वन रक्षक मदन मोहन पांडे द्वारा अभियुक्त राजेंद्र सिंह रावत निवासी ग्राम गोलनकरडिया अल्मोड़ा को नारी निकेतन के पास ग्राम बख अल्मोड़ा में तलाशी ली गई। उक्त तलाशी में अभियुक्त से बाघ की हड्डियां, नाखून व दॉत वणन 2 किलो 750 ग्राम बरामद हुई।
पुलिस एवं वन विभाग की संयुक्त टीम ने अभियुक्त को गिरफ्तार कर जेल भेजा। अभियुक्त के विरूद्ध वन्य जंतु संरक्षण अधिनियम 1972 में सब इंस्पेक्टर प्रकाश सिंह मेहरा ने प्रथम सूचना रिर्पोट की थी। मामला वन विभाग होने के कारण उक्त मामला उप प्रभागीय वनाधिकारी अल्मोड़ा को हस्तांरित कर दिया गया। उप प्रभागीय वनाधिकारी अल्मोड़ा ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत परिवाद दाखिल किया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत से उक्त मामला न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत से उक्त मामला न्यायिक मजिस्ट्रेट अभिषेक कुमार श्रीवास्ताव की अदालत में स्थानांतरित किया गया। मामले का विचारण न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में चला। वन विभाग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पीसी तिवारी ने आठ गवाह का परिक्षित कर अभियुक्त को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम में बाघ की हड्डी की तस्करी में तीन वर्ष का समक्ष करावास व 10 हजार रूपये के जुर्माने से दंडित किया। जूर्माना अदा न करने पर 6 माह का अतिरिक्त कारावास भोगना होगा।