नई दिल्ली। देश में आए दिन ऑनर किलिंग के मामले सामने आते ही रहते हैं। आज का समय लोगों की मानसिकता पर भारी पड़ रहा है। फिर कुछ पुराने जमाने की सोच रखने वाले इस बात को समझने को तैयार ही नहीं हैं। साथ ही पुरानी सोच रखने वाले लोग दो प्यार करने वाले परिंदों को मौत के घाट उतार देते हैं। ऐसा ही कुछ साल 1991 में उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद में हुआ था। जिसके चलते तीन लोगों की हत्या कर दली गई थी। इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक ऑनर किलिंग के केस पर सुनवाई की। कोर्ट ने इस सुनवाई में कहा कि किसी भी शख्स को सिर्फ इसलिए सजा नहीं दी जा सकती। क्योंकि उसने प्रेम किया है। प्रेम करने के लिए सजा देना पूरी तरह से जघन्य अपराध है।
ये है पूरा मामला-
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 1991 के एक ऐसे ही मामले में सुनवाई की। इस वारदात में खाप पंचायत की तरफ से सुनाए गए फरमान के बाद एक दलित युवक, उसके चचेरे भाई और एक युवती की हत्या गई थी। तीनों के शव पेड़ से लटके हुए मिले थे। वारदात इतनी जघन्य थी कि पेड़ पर टांगने से पहले युवकों के प्राइवेट पार्ट्स भी जला दिए गए थे। यूपी के मथुरा जिले में हुई इस जघन्य वारदात को लेकर काफी हंगामा भी हुआ था। दरअसल युवक और युवती के परिवारवाले शादी के लिए तैयार नहीं थे जिसके बाद दोनों घर से भाग गए थे। इस काम में युवक के चचेरे भाई ने प्रेमी युगल की मदद की थी। जिसके कुछ वक्त बाद प्रेमी युगल गांव लौट आया था। लेकिन गांव में पंचायत हुई और तीनों को मौत के घाट उतारने का फरमान जारी कर दिया गया था। इज्जत के नाम पर पंचायत में इस घिनौनी वारदात को सही ठहराया गया था।
जानें प्रेम करने वालों के लिए चीफ जस्टिस क्या कहा-
जिसके चलते इस मामले में लोअर कोर्ट ने आठ दोषियों को सजा ए मौत दी है। 2016 में मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहुंचा था तो मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया। इन दोषियों में से कई ने सुप्रीम कोर्ट में स्वास्थ्य के आधार पर बेल अपील की थी। जिसकी सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे ने ये टिप्पणी की है। चीफ जस्टिस ने कहा कि किसी को सिर्फ इसलिए सजा नहीं दी जा सकती क्योंकि उसने प्रेम किया है।