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सपा में कोल्ड वार जारी, अखिलेश के करीबी को शिवपाल ने पार्टी से निकाला

pawan akhlesh shivpal सपा में कोल्ड वार जारी, अखिलेश के करीबी को शिवपाल ने पार्टी से निकाला

लखनऊ। समाजवादी पार्टी में चल रही महाभारत में आज अखिलेश के एक और करीबी मंत्री और अयोध्या विधान सभा क्षेत्र से विधायक तेजनारायण पान्डेय पवन को सपा प्रदेश अध्यक्ष ने 6 साल के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। सूत्रों की माने तो यह कार्रवाई सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह के आदेश के बाद हुई है।

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तेजनारायण पान्डेय पवन पर 24 तारीख को पार्टी दफ्तर पर आहुत बैठक के बाद मुख्यमंत्री आवास के अंदर एमएलसी आशु मलिक को पीटने का आरोप लगा था। ये आरोप आशु मलिक ने लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई थी। जिसके कार्रवाई को लेकर लगातार चर्चाएं चल रही थीं। जिसके बाद वन राज्य मंत्री के पद पर आसीन तेजनारायण पान्डेय पवन को आज सुबह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने प्रेस कर इन्हें पार्टी से 6 साल के लिए बाहर कर दिया साथ ही मुख्यमंत्री से इन्हें मंत्रिमंडल पर बर्खास्त करने के लिए अनुराध भी किया गया है।

अखिर कौन है तेजनारायन पान्डेय पवन
साल 2012 में समाजवादी पार्टी ने जब अपने चुनावी सफर की शुरूआत की तो प्रदेश में भाजपा का सबसे मजबूत किया अयोध्या विधान सभा को साल 1991 से भाजपा के खेमे से छीन समाजवादी पार्टी में आने के लिए अखिलेश ने अपने सबसे करीबी तेजनारायण पान्डेय पवन को टिकट दिया पवन ने भी अखिलेश का भरोषा काम रखते हुए पार्टी को अयोध्या का किला जीतने में सफलता दिलाई। इनके बाद पवन को अखिलेश ने इनाम स्वरूप राज्यमंत्री का पद दिया। लेकिन अपने अडियल और बेलगाम रूख के चलते पवन की शिकायत मिलने पर उनसे पद वापस ले लिया। लेकिन अपने इस करीबी से अखिलेश ज्यादा दिन की दूरी ना बना सके पुन: पवन को दुबारा राज्यमंत्री के पद पर आसीन कर ये जता दिया था कि पवन उनके करीबियों में से एक हैं।

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तेजनारायन पान्डेय पवन का राजनीतिक जीवन
तेजनाराणय पान्डेय पवन का राजनीतिक जीवन फैजाबाद शहर से शुरू हुआ था। जिले के प्रतिष्ठित स्कूल श्याम सुन्दर सरस्वती विद्यालय से अपनी प्रारम्भिक शिक्षा दीक्षा ले पवन ने प्रदेश की राजधानी स्थित लखनऊ विश्वविध्यालय में प्रवेश के साध छात्र राजनीति में पदार्पण किया। जहां वे छात्रसंघ के उपाध्यक्ष चुने गये। इसके बाद पवन ने कभी राजनीति के क्षेत्र में पीछे मुड़ कर नहीं देखा । कहा जाता है छात्र राजनीति से ही पवन अखिलेश के करीबी बन चुके थे।

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के समाजवादी छात्र सभा से युवजन सभा तक राष्ट्रीय पदों पर भी आसीन हुए। साल 2012 में जब अखिलेश विधान सभा के समर की तैयारी कर रहे थे तो अपने करीबियों की सूची में पवन का नाम डाल इन्हें इनके विधान सभा सीट अयोध्या से पार्टी के टिकट चुनावी समर में उतारा। वैसे तो ये सीट भाजपा की सुरक्षित सीटों में सबसे महत्वपूर्ण कही जाती थी। लेकिन पवन ने इस सीट पर अखिलेश के विश्वास को कायम रखा और जीत दर्ज की।

विवादों से नाता
विवादों से पवन का नाता तो छात्र राजनीति से ही रहा था। लेकिन पहवी बार जब मंत्री हुए तो अपने जिले में एक अधिकारी से भिडन्त को लेकर पवन का नाम काफी उछला था। जिसके बाद अखिलेश के पास पवन के विरोधियों ने शिकायत भी की थी । शिकायत और जांच में पवन को सही पाते अखिलेश ने झाड़ लगाते हुए उन्होंने रातों रात मंत्री पद से हटा ्दिया था। लेकिन जल्द ही पवन ने ्पने कामों से अखिलेश का दिल जीत कर मंत्रिमंडल में दमदार वापसी की। इस बार वे वन राज्यमंत्री के पद पर आसीन हुए।

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आखिर क्यूं गिरी गाज
समाजवादी परिवार में छिड़ी महाभारत पर जब पार्टी दफ्तर में सपा सुप्रीमो अखिलेश और शिवपाल समेत सभी विधायक और मंत्री मौजूद थे । तो वहां पर हुए घटनाक्रम के बाद सीएम अखिलेश अपने साथ आशु मलिक को लेकर अपने आवास पर चले गये थे। जहां पर आशु मलिक ने पवन पान्डेय पर मुख्यमंत्री की गैर मौजूदगी में अपने साथ मार पीट करने का आरोप लगाते हुए पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। जिसके बाद कल रात पवन मुख्यमंत्री से मिलने उनके आवास पर भी गये थे।

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लेकिन जब पत्रकारों ने उनसे इस्तीफे के बारे में पूछा तो साफ तौर पर उन्होंने जबाब देते ोहुए कहा था उनके ऊपर आशु मलिक झूठा आरोप लगा रहे है। जब इस्तीफे की बात पूछी गई तो वे बिफर पड़े कहा कि इस्तीफा क्यूं दूंगा जब कोई गलती ही नहीं की है। लेकिन आज सुबह पार्टी दफ्तर पर प्रेस कर शिवपाल ने अखिलेश के करीबियों में एक तेजनारायण पान्डेय पवन को पार्टी से 6 साल के लिए बाहर किया और मुख्यमंत्री से मंत्रिमंडल से बाहर करने की पेशकस की तो सब आवाक रह गये ।

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इस कार्रवाई के बाद पार्टी प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने भले ही कहा हो पार्टी और परिवार में सब ठीक है। लेकिन पवन की बर्खास्तगी के बाद ये साफ हो गया कि पार्टी और परिवार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। सब समाजवादी परिवार में शुरू हुई महाभारत में ये अल्प विराम है। अब देखना होगा कि कब तक इस महाभारत के युद्ध का विराम होता है।
piyush-shukla(अजस्रपीयूष शुक्ला)

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