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किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: तीनों कानूनों पर लगाई रोक, कमेटी का गठन

WhatsApp Image 2021 01 12 at 2.00.58 PM किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: तीनों कानूनों पर लगाई रोक, कमेटी का गठन

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा पास किए गए तीनों कृषि कानून के लागू होने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सर्वोच्च अदालत ने मंगलवार को ये फैसला सुनाया, साथ ही अब इस मसले को सुलझाने के लिए कमेटी का गठन कर दिया गया है। इस कमेटी में कुल चार लोग शामिल होंगे, जिनमें भारतीय किसान यूनियन के जितेंद्र सिंह मान, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अशोक गुलाटी (कृषि विशेषज्ञ) और अनिल शेतकारी शामिल हैं।

 

कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे आंदोलन को आज 48वां दिन है। आठवें दौर की वार्ता के बाद भी कोइ नतीजा नहीं निकल पाया है। सरकार का कहना है कि वो कानून में संशोधन करने को तैयार हैं लेकिन कानून वापस नहीं होगा। सरकार का तर्क है कि उन्होंने कानून पूरे देश के लिए बनाया है और ज्यादातर राज्यों के किसान इसका समर्थन कर रहे हैं। सोमवार को किसान आंदोलन को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सरकार को फटकार लगाई थी।

 

अमल स्थगित करेंगे-

1-सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा है कि हम कानून का अमल स्थगित करेंगे, लेकिन अनिश्चित काल के लिए नहीं। हमारा मकसद सिर्फ सकारात्मक माहौल बनाना है। उस तरह की नकारात्मक बात नहीं होनी चाहिए जैसी एम एल शर्मा ने आज सुनवाई के शुरू में की। शर्मा ने कहा था कि किसान कमिटी के पास नहीं जाएंगे, कानून रद्द हो।

 

2- अटॉर्नी जनरल की ओर से कमेटी बनाने का स्वागत किया गया। इसपर हरीश साल्वे कहा कि सुप्रीम कोर्ट यह स्पष्ट कर सकता है कि ये किसी पक्ष के लिए जीत नहीं होगी। बल्कि कानून की प्रक्रिया के जरिए जांच का प्रयास ही होगा।

 

3- चीफ जस्टिस की ओर से इसपर कहा गया कि ये निष्पक्षता की जीत हो सकती है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि प्रदर्शन में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है। ऐसे में बड़ी जगह मिलनी चाहिए। वकील ने रामलीला मैदान का नाम सुझाया, तो अदालत ने पूछा कि क्या आपने इसके लिए अर्जी मांगी थी।

 

4- अदालत ने किसान संगठनों को भी नोटिस जारी किया है। जिसमें उन्होंने दिल्ली पुलिस से ट्रैक्टर रैली निकालने की परमिशन मांगी है। सुप्रीम कोर्ट में अब ये मामला सोमवार को सुना जाएगा। चीफ जस्टिस की ओर से अटॉर्नी जनरल से कहा गया है कि वो प्रदर्शन में किसी भी बैन संगठन के शामिल होने को लेकर हलफनामा दायर करें।

 

 

हम सस्पेंड भी कर सकते हैं कानून-

सांसद तिरुचि सीवा की ओर से जब वकील ने कानून रद्द करने की अपील की तो चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें कहा गया है कि साउथ में कानून को समर्थन मिल रहा है। जिसपर वकील ने कहा कि दक्षिण में हर रोज इनके खिलाफ रैली हो रही हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि वो कानून सस्पेंड करने को तैयार हैं, लेकिन बिना किसी लक्ष्य के नहीं।

किसानों के एक वकील ने कहा कि इस तरह का मानना है कि कमेटी मध्यस्थ्ता करेगी। जिसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि कमेटी मध्यस्थ्ता नहीं करेगी, बल्कि मुद्दों का समाधान करेगी।

 

26 जनवरी को नहीं निकलेगी रैली-

अदालत में हरीश साल्वे की ओर से कहा गया कि 26 जनवरी को कोई बड़ा कार्यक्रम ना हो, ये सुनिश्चित होना चाहिए। जिसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि दुष्यंत दवे की ओर से पहले ही कहा जा चुका है कि रैली-जुलूस नहीं होगा। हरीश साल्वे ने इसके अलावा सिख फॉर जस्टिस के प्रदर्शन में शामिल होने पर आपत्ति जताई और कहा कि ये संगठन खालिस्तान की मांग करता आया है। चीफ जस्टिस ने कहा कि वो ऐसा फैसला जारी कर सकते हैं जिससे कोई किसानों की जमीन ना ले सके।

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