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सुप्रीम कोर्ट एक बार फिर दहेज प्रताड़ना मामले में सीधे गिरफ्तारी पर रोक की समीक्षा करेगा

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नई दिल्ली। दहेज प्रताड़ना के मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला लिया था कि दह्ज के लिए प्रताड़ित करने वालों पर सिधे कार्रवाई और गिरफ्तारी की जाएगी। लेकिन अब अपने इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट एक बार फिर समीक्षा करेगा। इस मामले से जुड़ी धारा 498ए के बारे में खंडपीठ द्वारा जारी गाइडलाइन को लेकर चाफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने बाते बुधवार को नाराजगी जताई उनका4 कहना है कि आईपीसी धारा 498ए का कानून बहुत पुराना है।

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बता दें कि आगे उन्होंने कहा कि कोर्ट इसे लेकर गाइडलाइन कैसे जारी कर सकता। क्योंकि ये मामला तो सीधे पुलिस और मजिस्ट्रेट के बीच का है। जब विधायी प्रवाधान है तो इसमें गाइडलाइन की क्या जरूरत है। इस तरह की को भी गाइडलाइन कानून में दखल होगी। जांच करने का क्या तरीका होता है उसे तय करना एजेंसी का काम है।

वहीं मामले की सुनवाई को लेकर कहा जा रहा है कि सुनवाई जनवरी के तीसरे हफ्ते में होगी। बता दें कि जस्टिस एके गोयल और यूयू ललित की बेंच ने 27 जुलाई को जारी आदेश में दहेज प्रताड़ना के मामले में पति और ससुराल वालों के खिलाफ सीधे कार्रवाई और गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। इन शिकायतों पर पुलिस कार्रवाई से पहले जांच के लिए जिलों में समितियां गठित करने को कहा गया था। मानवाधिकार मंच नामक संस्था ने चुनौती दी है। एमिकस क्यूरी वी शेखर ने कोर्ट को बताया कि इस आदेश के बाद गिरफ्तारियां नहीं हो रहीं। दहेज उत्पीड़न का कानून कमजोर हुआ है।

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