नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा को दुरूस्त करने के लिए दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि अब से कोई भी टेक्निकल कोर्स कॉरेस्पोन्डेन्स मोड से नहीं होगा। ओडिशा हाईकोर्ट के फैससे को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि तकनीकि शिक्षा दूरस्थ पाठ्यक्रम कॉरेस्पोन्डेन्स के माध्यम से हासिल नहीं किया जा सकता। बता दें कि ओडिश हाई कोर्ट ने टेक्निकल कोर्सेस को कॉरेस्पोन्डेन्स मोड से किए जाने की इजाजत दी थी। इंजिनियरिंग, मैनेजमेंट, फार्मेसी, मेडिक समेत कई ऐसे कोर्सेस हैं, जिन्हे टेक्निकल कोर्स कहा जाता है उनके कॉरेस्पोन्डेन्स मोड पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा के उस फैसले पर भी संतुष्टी जाहिर की जिसमें कोर्ट ने दूरस्थ माध्यम से ली गई ड्रिग्री को रेग्यूलर माध्यम से ली गई ड्रिग्री को सामान मानने से इनकार कर दिया था। देश में तकनीकि पाठ्यक्रमों और कोर्सेज को चलाने के लिए अखिल भारतीय तकनीकि शिक्षा परिषद से मंजूरी लेना अनिवार्य है। सभी तरह के तकनीकि कोर्सेज चलाने वाले सरकारी और गैर सरकारी संस्थान एआईसीटीई के नियमों के मुताबिक ही संचालित होते हैं। केंद्र सरकार की यही संस्था सभी तकनीकि शिक्षण संस्थानों जो इंजीनियरिंग डिग्री, इंजीनियरिंग डिप्लोमा, फार्मेसी या मैनेजमेंट का कोर्स चलाते हैं, उन्हें रेग्यूलेट करती है।
गौरतलब है कि अखिल भारतीय तकनीकि शिक्षा परिषद देशभर के इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए नया संशोधित सिलेबस तैयार कर रही है। माना जा रहा है कि अगले शैक्षणिक सत्र से नया सिलेबस लागू कर दिया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक नए सिलेबस को मानव संसाधन विकास मंत्रालय से भी मंजूरी मिल चुकी है। सिलेबस में परिवर्तन करने का मकसद इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे छात्रों को नई टेक्नोलॉजी से रू-ब-रू कराने के साथ उन्हें रोजगार के अधिक मौके उपलब्ध कराना है। भारत में काफी समय से इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव नहीं हुआ है।