संवाददाता, सुलतानपुर। जनपद सुलतानपुर की महत्वपूर्ण सीट है कुशभवनपुर इसे वर्तमान में सुलतानपुर के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में इस सीट से भारतीय जनता पार्टी के फायरब्रांड नेता वरुण गांधी सांसद हैं। गोमती नदी के तट पर बसा सुल्तानपुर इसी राज्य का एक प्रमुख क्षेत्र है। सुल्तानपुर जिले की स्थानीय बोलचाल की भाषा अवधी और सम्पर्क भाषा खड़ी बोली है।
पारिजात वृक्ष, धोपाप मंदिर, लोहरामाउ देवी मंदिर, सीताकुंड सुल्तानपुर के प्रमुख दार्शनीय स्थल हैं। दिल्ली से इस क्षेत्र की दूरी 707.8 किलोमीटर है और लखनऊ से दूरी 165.7 किलोमीटर है। यहां छठे चरण में मतदान होना है और 12 मई 2019 को प्रत्याशियों का भाग्य वीवीपैट मशीन में कैद हो जाएगा। यहां कुल 17 लाख 3 हजार 698 मतदाता हैं जिनमें 9 लाख 10 हजार 134 पुरुष और 7 लाख 93 हजार 521 महिला मतदाता हैं।
वर्तमान परिदृष्य क्या है?
इस बार इस सीट पर कांग्रेस से डॉ संजय सिंह, भाजपा से केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी और महागठबंधन से चंद्रभद्र सिंह प्रत्याशी के रूप में जनता के समक्ष चुने जाने के लिए तैयारी कर चुके हैं। पिछली बार यहां से बरुण गांधी कुल 4 लाख 10 हजार 384 वोट लेकर विजयी हुए थे जबकि पवन पांण्ड बसपा से 2 लाख 31 हजार 446 वोटों के साथ दूसरे नम्बर थे। इस बार महागठबंधन से जयभद्र सिंह ने ताल ठोंकी हैं और मुख्य रूप से फाइट में मेनका के सामने खड़े हैं। देखना यह होगा कि जनता इस बार क्या भाजपा को दुबारा मौका देगी या महागठबंधन पर अपना भरोसा जताएगी।
35 वर्षों के बाद मेनका गांधी सुलतानपुर क्षेत्र में दुबार एंट्री कर चुकी हैं और अब देखना यह होगा कि क्या वो एक हिन्दूवादी का टैग लेकर जनता से वोटों की याचना करने में कामयाब होंगी या नहीं? समय था सन 1980 का मेनका के पति अमेठी के सांसद संजय गांधी की विमान दुघर्टना में मौत हो गई उस दौरान वरुण गांधी मात्र 100 दिन के थे।
पारिवारिक वजह से गांधी परिवार से अलग होने वाली मेनका गांधी के सामने स्वयं को स्थापित करने का सवाल खड़ा हो गया। जानकार बताते हैं कि 18 सितंबर 1982 को वह अमेठी के गौरीगंज आईं और वहां डाक बंगले में रुकीं। वह 1982 से 84 तक अमेठी-सुलतानपुर में बेहद सक्रिय रहीं। संजय गांधी की पत्नी होने के नाते उन्हें जिलेवासियों से काफी सहानुभूति मिल रही थी, लेकिन इसी बीच 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हो गई। उसके कुछ समय बाद लोकसभा चुनाव की घोषणा हो गई। ऐसे में ज्यादातर लोगों की सहानुभूति राजीव गांधी के पक्ष में हो गई। विपक्ष ने मेनका को समर्थन दिया और अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा। लेकिन मेनका गांधी चुनाव हार गईं इसकी वजह रही कांग्रेस की ज्यादती, बूथ कैप्चरिंग और मेनका के साथ बदसलूकी। इसके बाद मेनका सुलतानपुर क्षेत्र छोड़कर हमेशा के लिए चली गईं थी।
एक लम्बे अरसे बाद मेनका दुबारा भाजपा की प्रत्याशी बनकर सुलतानपुर में आई हैं देखना यह है कि क्या इस बार जनता उन्हें स्थापित करने में मदद करती है या फिर इस बार भी साधारण परिणाम ही हासिल हो पाएगा?