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एग्रीकल्चर में कल्चर का अहम योगदानः पीएम मोदी

Pm modi एग्रीकल्चर में कल्चर का अहम योगदानः पीएम मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नई दिल्ली में पहले अंतरराष्ट्रीय कृषि जैव विविधता सम्मेलन का उद्घाटन किया। भारतीय कृषि की विशेषताओं का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि हमारा देश जैव विविधताओं के मामले में अत्यंत समृद्ध देश है। भारत में जैव विविधताओं का भंडार है। पीएम ने कहा कि अब वह समय आ गया है कि अब जैव कृषि संरक्षण के बारे में सोचने की जरुरत है। आपको यहां बता दें कि पहले अंतरराष्ट्रीय कृषि जैव विविधता सम्मेलन में करीब 60 देशों के नौ सौ प्रतिनिधि जीन संसाधनों के संरक्षण पर विचार विमर्श करेंगे।
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अंतरराष्ट्रीय कृषि जैव विविधता सम्मेलन 9 नवंबर तक चलेगा, यह सम्मेलन इंडियन सोसायटी ऑफ प्लांट जेनेटिक रिसोर्सेज एंड बायोडायवर्सिटी इंटरनेशनल द्वारा आयोजित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने आज इसका उद्घाटन करतु हुए अपने संबोधन में कहा कि कृषि के विकास हेतु संस्कृति और परंपराओं का योगदान आवश्यक है। देश की अद्भुत क्षमता है कि  सिर्फ 2.5 प्रतिशत भूभाग होने के बावजूद हमारी जमीन दुनिया की 17 प्रतिशत मानव जनसंख्या,18 प्रतिशत पशु जनसंख्या और साढ़े छह प्रतिशत वायो डाईवर्सिटी को समाहित किए हुए है।

प्रथम अंतर्राष्ट्रीय एग्रोबायोडायवर्सिटी कांग्रेस (आईएसी) में मोदी ने कहा, “आज, लाखों लोग भूख, गरीबी और कुपोषण से जूझ रहे हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी की इन चुनौतियों से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका है।प्रधानमंत्री ने कहा, “हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि इन चुनौतियों का समाधान खोजते हुए हम दूसरे पहलुओं, जैसे सतत विकास और जैव-विविधता के संरक्षण की अनदेखी न करें।जैव-विविधता के संरक्षण के लिए मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय और निजी संगठनों से संसाधनों और प्रौद्योगिकी का एक पूल बनाने को कहा, जिससे सफलता में वृद्धि हो और इस दिशा में एक साझा दृष्टिकोण तैयार किया जा सके।

इंडियन सोसाइटी ऑफ प्लांट जेनिटिक रिसोर्सेज (आईएसपीजीआर) और बायोवर्सिटी इंटरनेशनल ने 6-9 नवंबर तक इस कार्यक्रम का आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहयोग से किया है। पीएम ने कहा कि आज इसकी आवश्यकता है कि विलुप्त होती जा रही प्रजातियों को बचाया जाए। प्रत्येक देश को एक दूसरे से कुछ ना कुछ सेखता रहा है और यह क्रम जारी रहना चाहिए। आज के समाज मे पर्यावरण को कई कारणों से बहुत क्षति पहुंच रही है इसलिए यह बहुत जरुरी है कि हम उन तरीकों की खोज करें जिनसे पर्यावरण को किसी प्रकार से क्षति ना पहुंचे।

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