नई दिल्ली। आषाढ़ महीने की द्वितीय तिथि को भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का उत्सव बढ़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। 14 जुलाई से भगवान जगन्नाथ की यात्रा शुरू हो रही है जो कि 141वीं रथयात्रा है जिसका शुभारंभ अहमदाबाद भगवान जगन्नाथ के मुख्य मंदिर से हुआ। जिसके बाद ये रथयात्रा सरसपुर के रणछोड़दास मंदिर तक जाएगी। इसके अलावा ओडिशा के पुरी में भी भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा शुरू हो चुकी है।
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आपको बता दें कि हर साल भगवान जगन्नाथ की यात्रा कराई जाती है। भगवान जगन्नाथ के साथ साथ भगवान कृष्ण, उनके भाई बलराम और बहन सुभद्रा को भी रथ में बैठाकर यात्रा की जाती है। आपको बता दें कि ये उत्सव पूरे 9दिनों तक चलाया जाता है। इस यात्रा को इसलिए कराया जाता है जिससे भगवान अपने गर्भ गृह से निकलकर प्रजा के सुख-दुख को खुद दे
भगवान जगन्नाथ यात्रा का रहस्य
भगवान जगन्नाथ की यात्रा का महत्व सबसे ज्यादा ओडिशा के पुरी में देखने को मिलता है। पुराओं की मानें तो जगन्नाथ पुरी को धरती का बैकुंठ कहा गया है। कहा जाता है कि पुरी में भगवान विष्णु ने पुरुषोत्तम नीलमाधव के रूप में अवतार लिया था। वह यहां सबर जनजाति के परम पूज्य देवता बन गए। सबर जनजाति के देवता होने की वजह से यहां भगवान जगन्नाथ का रूप कबीलाई देवताओं की तरह है। ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर की महीमा देश में ही नहीं विश्व में भी प्रसिद्ध हैं।