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Sharad Purnima 2022: आज है शरद पूर्णिमा, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व

06 10 2022 sharad purnima 23121811 Sharad Purnima 2022: आज है शरद पूर्णिमा, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व

Sharad Purnima 2022: हिंदू कैलेंडर के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहा जाता है और हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है. इस साल शरद पूर्णिमा आज यानि 9 अक्टूबर को पड़ रही है।

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धार्मिक मान्यता

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन चंद्रमा अपनी पूरी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन जब किया जा रहा था तब शरद पूर्णिमा के दिन ही मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इस वजह से शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रदेव के साथ मां लक्ष्मी की पूजा शुभ मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी धरती पर विचरण करती हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। जानें शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व खास संयोग….

शरद पूर्णिमा का महत्व

हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का काफी महत्व है। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा व कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने से सुख-समृद्धि व सौभाग्य प्राप्ति की मान्यता है।

शरद पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त

  • पूर्णिमा तिथि आरंभ- 9 अक्टूबर सुबह 3 बजकर 41 मिनट से शुरू।
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त- 10 अक्टूबर सुबह 2 बजकर 25 मिनट तक।
  • चंद्रोदय का समय- 9 अक्टूबर शाम 5 बजकर 58 मिनट।

शरद पूर्णिमा पूजा विधि

  • शरद पूर्णिमा पर प्रात: काल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें और सुबह के समय शुभ मुहूर्त में भगवान सत्यनारायण की पूजा करें।
  • चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं भगवान सत्यानारयण की तस्वीर स्थापित करें और फिर पीले फूल, पीले वस्त्र, पीला फल(केला), जनेऊ, सुपारी, हल्दी अर्पित करें।
  • भोग में तुलसीदल डालकर श्रीहरि को अर्पित करें. धूप, दीप लगाकर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और फिर आरती कर दें और यथाशक्ति दान करें।
  • चावल और दूध की खीर बनाकर रात में 10-12 बजे के बीच खुले आसमान के नीचे इसे रखें. इस दिन रात में चंद्रमा की शीतल किरणों से अमृत बरसता है।
  • चंद्रोदय के बाद गंगाजल को चांद की रोशनी में रखें और फिर इससे महादेव का अभिषेक करें. इस उपाय से चंद्रदोष दूर होता है और जीवन के सभी तनाव खत्म हो जाते हैं।
  • रात 11 से 1 बजे के बीच खुले आसमान के नीचे चांदनी रात में उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें, मां लक्ष्मी और चंद्र देव के मंत्रों का जाप करें।
  • ऊं च्रंदाय नम: मंत्र का जाप करें। कहते हैं शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा को निराहने से नेत्र संबंधित समस्याएं खत्म हो जाती हैं और समस्त रोगों का नाश होता है।
  • अब गाय के दूध से रात में ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे, अमृततत्वाय धीमहि। तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात् ।। मंत्र बोलते हुए चंद्रदेव को अर्घ्य दें. इससे सुख-सौभाग्य और सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है।
  • मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं और फिर अगले दिन सूर्योदय के बाद खीर का प्रसाद ग्रहण करें।

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