नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में सेना की तैनाती के मुद्दे पर विपक्ष के आरोपों का सामना कर रही सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह एक नियमित सैन्य अभ्यास का हिस्सा था और विपक्ष इसे बेवजह तूल दे रहा है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने विपक्ष के इस दावे को भी खारिज किया कि इस बारे में राज्य सरकार को पूर्व में सूचना नहीं दी गई।
Saddening that a routine exercise by the Army has been turned into a controversy by West Bengal CM @MamataOfficial : RM @manoharparrikar pic.twitter.com/B02tfo7aY9
— BJP (@BJP4India) December 2, 2016
पर्रिकर ने लोकसभा में कहा, “यह सेना का नियमित अभ्यास था, जो बीते 15-20 सालों से होता रहा है। यह अभ्यास पिछले साल भी 19-21 नवंबर के बीच आयोजित किया गया था।” उन्होंने कहा, “इस साल भी पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के राज्यों में ये सैन्य अभ्यास आयोजित किए जा रहे हैं। यह उत्तर प्रदेश और झारखंड में भी किया गया।”
पर्रिकर ने कहा, “पहले फैसला लिया गया था कि सैन्य अभ्यास 28-30 नवंबर के बीच होगा। लेकिन राज्य की पुलिस ने 28 नवंबर को बंद की वजह से इसकी तारीख बढ़ाने का अनुरोध किया। इसलिए सैन्य अभ्यास के लिए एक दिसंबर से तीन दिसंबर की तिथि निर्धारित की गई।” उन्होंने तृणमूल कांग्रेस की नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर मामले के राजनीतिकरण का आरोप लगाया।
पर्रिकर ने कहा, “यह दुखद है कि नियमित अभ्यास को अब विवाद बना दिया गया है। इसका राजनीतिकरण करना गलत है। सही पहलू उजागर करने की बजाय यह हताशा में की गई राजनीति है।” इससे पहले प्रश्नकाल के समय तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि राज्य सरकार को अंधेरे में रखकर सेना की तैनाती की गई। उन्होंने कहा कि सेना को उस राष्ट्रीय राजमार्ग के टोल प्लाजा पर भी तैनात किया गया, जो सचिवालय से महज 500 मीटर की दूरी पर है।