मेरठ के हस्तिनापुर स्थित प्राचीन पांडव टीले पर प्राचीन मृदभांड और हड्डियों के अवशेष मिलने से सनसनी फैल गई है। इन अवशेषों को हड़प्पा संस्कृति से जोड़कर देखा जा रहा हैं। इसके अलावा मुगलकालीन और महाभारत कालीन अवशेष मिलने की भी संभावना जताई जा रही है।
नेचुरल साइंसेज ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रियंक भारती की माने तो यहां पर प्राचीन सभ्यता के अवशेष कई बार मिल चुके हैं। 1950 में अर्कीलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने खुदाई की थी। उसमें भी कई ऐसे अवशेष मिले थे जो भारत की प्राचीन संस्कृति और धरोहर को दर्शाते हैं। इसके अलावा एएसआई की टीम ने उसके बाद कई बार यहाँ खुदाई की। जिसमें कई प्राचीन बर्तन मिले हैं।
प्रोफेसर प्रियंक भारती ने उत्खनन को लेकर हाई कोर्ट में भी याचिका दायर की है। जिसके बाद अब पांडव टीले की मिट्टी कटान होने के कारण कुछ बर्तन और हड्डियों के अवशेष मिले हैं। इन बर्तनों पर जो चित्रकारी हुई है वह हड़प्पा काल से जोड़कर देखी जा रही है।
प्राचीन शवदाह ग्रह होने के अनुमान
वहीं, जो हड्डियों के अवशेष मिले हैं। उससे माना जा रहा है कि यहां कोई हड़प्पा या महाभारत काल का शवदाह ग्रह रहा होगा। क्योंकि काफी हड्डियों के अवशेष यहां मिट्टी के नीचे दबे हुए दिखाई दे रहे हैं। इसके अलावा जिस तरह से सिनौली साइट पर रथ, हथियारों के अवशेष मिले हैं। उसी तरह से पांडव टीले के नीचे भी इसी तरह के अवशेष दबे होने की आशंका के प्रबल प्रमाण मिलते हुए नजर आ रहे हैं।
हड़प्पा काल के समय का बर्तन मिला
हस्तिनापुर स्थित उल्टा खेडा टीला पर एक बार फिर प्राचीन अवशेषो की भर मार मिली है। इस बार प्राचीन अवशेष रघुनाथ महल के समीप से मिले है। यहाँ पर लेट हड़प्पा काल के समय का एक बर्तन भी मिला हैं, जिसके अंदर से कुछ अलग तरह की मिट्टी सी प्राप्त हुई है। बर्तनों के अंदर कुछ आटा नुमा रखे होने का अनुमान हैं, क्योकि इतनी लंबे समय के बाद उसका सड़ जाना लाजमी है।
कसोरे में कोयले के अवशेष मिले
एक कसोरे (मिट्टी का बर्तन) में कोयले के अवशेष भी मिले है
। हाथ की हड्डी, कार्टिलेज के साथ साथ मृदभाण्डों से यह स्थल भरा हुआ है। नेचुरल साइंसेज ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं शोभित विवि के असिस्टेंट प्रोफेसर का कहना है कि इस स्थल पर पूर्व में कभी उत्खनन नही हुआ है और इस तरह के अवशेष मिलना बेहद आश्चर्यजनक है।
अगर हो उत्खनन तो खुल सकते है कई राज
प्रियंक भारती का कहना है कि इस स्थल पर उत्खनन होने से सिनौली से भी बड़ी बीयूरियल साइट मिल सकती है। बर्तनों के साथ हड्डियां मिलना तो यही दर्शाता है।
सभी अवशेष एएसआई को सौंपे।
प्रियंक भारती ने बताया कि सभी अवशेष हस्तिनापुर कार्यालय में कार्यरत अरविंद राणा को सौप दिए है। अरविंद राणा का कहना है कि तत्काल ही उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया है। प्रियंक भारती ने सभी फ़ोटो एएसआई के उच्चाधिकारियों को भेज दिए है।
उल्टा खेडा से मिल रहे प्राचीन अवशेष
हस्तिनापुर में पुरातत्व विभाग के कार्यालय के बाद अब उल्टा खेडा टीले की चार दिवारी के आस पास सफाई का कार्य चल रहा है। टीले पर बस्ती की तरफ शनिवार को सफाई का कार्य चल रहा है।
अवशेष पर मिली प्राचीन आकृति
सफाई के दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के हस्तिनापुर पर तैनात कर्मचारी अरविंद राणा को काफी तादाद में प्राचीन अवशेष मिले है। नेचुरल साइंसेज ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं शोभित विवि के असिस्टेंट प्रोफेसर प्रियंक भारती का कहना है प्राप्त अवशेषो में बोटल लीड, मुगलकालीन अवशेष एवं एक अवशेष पर तो आकृति बनी हुई है।
कुषाण और शुंग काल को दर्शाते अवशेष
प्रियंक का कहना है कि 1950-52 में टीले पर उत्खनन के लिए 4 ट्रेंच लगाए गए थे एक ट्रेंच यहाँ भी था जहाँ से ये अवशेष प्राप्त हुए है। 1950-52 में हुए उत्खनन में इस तरह की पॉटरी को डॉ. बी0 बी0 लाल ने कालखण्ड 4 में रखा था जो कि कुषाण और शुंग काल को दर्शाती है। इस कालखंड में ॐ सतिया सहित फूलों की आकृतियाँ पॉटरी पर उकेरी जाती थी। उत्खनन रिपोर्ट के पेज 70 पर इस तरह की पोटरी देखी जा सकती है।
भेजी गई रिपोर्ट
शुक्रवार को रघुनाथ महल के समीप भारी तादाद में प्राचीन मृदभांडो सहित हड्डियों के अवशेष मिले थे। प्रियंक भारती ने बताया कि इन सभी की रिपोर्ट बनाकर प्रह्लाद सिंह पटेल, सांस्कृति मंत्री भारत सरकार एवं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की महानिदेशक सहित चेयरमैन नेशनल मोन्यूमेंट अथॉरिटी, नई दिल्ली को भेज दी गई है ।
उत्खनन कराने की मांग
प्रोफेसर प्रियांक भारती ने मांग की कि अर्कीलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को मेरठ की इस सांस्कृतिक धरोहर को बाहर निकालने के लिए उत्खनन करना चाहिए। उन्होंने भारत सरकार से मांग की है कि उत्खनन कराया जाए। ताकि मुगल काल, हड़प्पा और महाभारत काल के अवशेष बरामद किए जा सके और उससे लोगों को रूबरू कराया जा सके। साथ ही भारत के गौरवशाली इतिहास का सही ढंग से पता चल सके।