नई दिल्ली। हिन्दी पत्रकारिता की एक नई ईमारत बनाने वाले रवीश कुमार को उनकी निष्पक्षता और धैर्य का वह प्रमाण मिला है जिससे अब उनके भी मुह बंद हो जाएंगे जो पत्रकारिता के इस इकलौते रास्ते की ओर जाने से परहेज करने लगे थे। ‘रैमॉन मैगसेसे’ पुरस्कार 2019 बारह वर्षों के बाद किसी भारतीय पत्रकार को दिया जा रहा है। बहरहाल रवीश कुमार एनडीटीवी इंडिया के मैनेजिंग एडिटर हैं और अपने चर्चित शो प्राइम टाइम को लेकर हमेशा सुर्खियों रहे। इससे पहले पत्रकारिता में यह पुरस्कार पाने वालों में अमिताभ चौधरी (1961), बीजी वर्गीज (1975), अरुण शौरी (1982), आरके लक्ष्मण (1984), पी. साईंनाथ (2007) को यह पुरस्कार मिल चुका है।
क्या है रैमॉन मैगसेसे पुरस्कार?
प्रति वर्ष दिया जाने वाला ‘रैमॉन मैगसेसे’ पुरस्कार एशिया स्तर पर दिया जाता है इसे एशिया का नोबल पुरस्कार भी कहते हैं। यह उन व्यक्तियों और संस्थाओं को उनके अपने क्षेत्र में विशेष रूप से उल्लेखनीय कार्य करने के लिए प्रदान किया जाता है जो बेझिझक अपने कार्यों को अंजाम देते हैं, समाज, धर्म जाति और लिंदभेद से उपर उठकर जो खुद को समर्पित भावना से लोगों के लिए खड़े रहते हैं। यह पुरस्कार फिलीपीन्स के भूतपूर्व राष्ट्रपति रैमॉन मैगसेसे की याद में दिया जाता है।
पुरस्कार संस्था ने ट्वीट कर बताया कि रवीश कुमार को यह सम्मान “बेआवाजों की आवाज बनने के लिए दिया गया है।” रैमॉन मैगसेसे अवार्ड फाउंडेशन ने इस संबंध में कहा, “रवीश कुमार का कार्यक्रम ‘प्राइम टाइम’ ‘आम लोगों की वास्तविक, अनकही समस्याओं को उठाता है.” साथ ही प्रशस्ति पत्र में कहा गया, ‘अगर आप लोगों की अवाज बन गए हैं, तो आप पत्रकार हैं।’