नई दिल्ली। 6 दिसम्बर 1992 का दिन भले ही अयोध्या के विवाद का सबसे काला दिन रहा हो। देश में अयोध्या के बाहर दोनों समुदायों के बीच मनमुटाव और संवेदनशीलता बढ़ी लेकिन अयोध्या वही रही जैसी थी। राजनीति के अखाड़ों में इस विवाद को राजनीतिक पार्टियों ने अपने-अपने तरीकों से इस मुद्दे को भुनाती नजर आईं लेकिन अयोध्या वैसी ही बदहाल रही। अयोध्या के परिपेक्ष में केवल मायूसी ही हाथ लगी। इस विवाद में अयोध्या विश्व के मानस पटल तक पहुंची लेकिन अयोध्या के विकास को लेकर कभी कोई पार्टियां संजीदा नहीं दिखीं।
रामनगरी में आये दिन इस विवाद के चलते उद्योग-धंधे प्रभावित होने लगे। पर्यटन भी काफी हद तक चौपट हुआ है। लोगों का तो यहां तक कहना है कि रामनगरी के नाम पर केवल राजनीति ही की जाती है।इसे आज तक किसी ने कुछ नहीं दिया। इस बारे में यहां के स्थानीय लोगों से जब बाते हुई तो उनका दर्द सामने आया।
रामजन्मभूमि आंदोलन से जुड़ीं अयोध्या की एक हस्ती के तौर में जाने-जाने वाली ओमश्री भारती ने कहा कि इस आंदोलन ने अयोध्या को विश्व के मानस पलट पर जरूर ला दिया लेकिन विकास के पलट पर अयोध्या अभी अछूती है। यहां के स्थानीय लोगों के हित में सरकार की कोई ऐसी योजना नहीं सामने आती जिसके बाद ये कहा जा सकते कि इस आंदोलन के जरिए अयोध्या का विकास हुआ है। इसके साथ ही वे इस बात को भी कहना नहीं भूलीं कि 1990 में जिस तरह से नरसंहार इस भूमि पर हुआ और फिर 1992 में विवादित ढांचा गिराया गया । ये सभी सरकार की नाकामियों की देन था। आखिर इन चीजों की जरूरत ही क्यूं पड़ी जबकि इतिहास से लेकर पुरातत्व में ये साबित होता था कि यहां पर पहले कोई मंदिर था।
राम जन्मभूमि के पास एक दुकान करने वाले अभिनाश गुप्ता की माने तो लोग आते हैं। दर्शन करते हैं सुरक्षा की इतनी सघन व्यवस्था होती है कि लोग केवल दर्शन ही करते है खरीददारी उतनी नहीं होती। यहां पर व्यापारियों के लिए कोई सरकार सौगात नहीं देती है। यहां पर व्यापार और धंधे कभी-कभी विहिप के आयोजनों और विवाद से जुड़ी तारीखों के चलते सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर ठप्प हो जाते हैं। इस विवाद से यहां के लोग अब उब से गये हैं। सरकार को इस बारे में कोई ठोस कदम उठाना चाहिए
होटल के व्यवसाय से जुड़े अनूप कुमार गुप्ता की माने तो इस विवाद के बार से अयोध्या में सुरक्षा के नाम पर प्रशासन आम नागरिकों को कुछ ज्यादा ही परेशान करता है। यहां पड़ने वाले साल के 4 मेले ही एक बड़ी आमदनी का जरिया हैं। लेकिन सुरक्षा और कई बार इस विवाद के चलते आतंकी हमले होने के बाद से यहां पर सघन सुरक्षा व्यवस्था रखी जाती है। जिससे यहां आने वाले पर्यटकों को परेशानी तो होती है इसके साथ ही आम नागरिक परेशान होता है। क्योंकि इस विवाद ने अयोध्या में विकास के ढांचे को कभी बनने नहीं दिया।
इस आंदोलन से जुड़े बाबा रामचंद्र दास के प्रतिनिधि रहे उत्तर प्रदेश भूमि विकास बैंक के निदेशक और साकेत महाविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष निशेन्द्र मोहन मिश्रा ने कहा कि आज अयोध्या विवाद ने विश्व को अपने ओर खींचा है। आज यहा का युवा विवादों की नहीं विकास की बात पर जोर दे रहा है।
सरकार को रामनगरी के एतिहासिकता और पौराणिकता को लेकर काम करना चाहिए। विवाद तो कोर्ट का विषय है, बाबा ने कई बार इस मामले को आपसी सुलह और बातचीत के जरिए हल करने का प्रयास किया। लेकिन इन प्रयासों में कोई सफलता नहीं मिली। अयोध्या अब विवाद नहीं विकास चाहती है।
(अजस्रपीयूष)