नई दिल्ली। भारतीय पुलिस सेवा 1989 बैच के अफसर इंदु भूषण को जबरन रिटायर करने के बाद राजस्थान ऐसा तीसरा राज्य बन गया है, जहां अखिल भारतीय सेवा के अफसरों को कंपल्सरी रिटायरमेंट दिया गया है। देश में सबसे पहले मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में आधा दर्जन आईएएस, आईपीएस अफसरों को कंपल्सरी रिटायरमेंट दिया जा चुका है। राज्य और केंद्र सरकार का यह फैसला राज्य के उन बड़बोले अफसरों के लिए बड़ा मैसेज भी है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में राज्य सरकार की ओर से कुछ आईपीएस अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है।
किन-किन राज्यों में किन्हें केंद्र ने किया कंपल्सरी रिटायरमेंट
छत्तीसगढ़ काडर के 1992 बैच के अफसर राजकुमार देवांगन और 1998 बैच के अधिकारी एजीएमयूटी के मयंक शील चौहान को जनवरी 2017 में केंद्र ने जबरन रिटायर किया था। ऑल इंडिया डेथ कम रिटायरमेंट रूल 16 (3) के तहत कार्रवाई की गई थी। इस रूल के तहत सर्विस के 15 और 25 साल के बाद हर राज्य में अफसरों के प्रदर्शन का आंकलन किया जाता है।
इस दौरान प्रदर्शन ठीक न होने पर कंपल्सरी रिटायरमेंट दे दिया जाता है। छत्तीसगढ़ के ही आईपीएस केसी अग्रवाल को भी कंपल्सरी रिटायर किया गया था।
सात माह पहले अगस्त 2017 में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के तीन आईएएस अफसरों को कंपल्सरी रिटायर किया गया था। इसमें अजयपाल सिंह और बाबू लाल अग्रवाल छत्तीसगढ़ के और मध्यप्रदेश के 1985 बैच के अफसर एमके सिंह शामिल थे।
इन तीनों ही अफसरों पर भ्रष्टाचार, निकम्मेपन और गैर जिम्मेदाराना व्यवहार की वजह से केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों को कार्रवाई करनी पड़ी थी।
भारतीय वन सेवा के 1988 बैच के राजस्थान काडर के अफसर जेडए खान को भी कंपल्सरी रिटायरमेंट देने के लिए प्रस्ताव बनाकर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेजा गया था।
सूचना मिलते ही खान ने अपना रिप्रेजेंटेशन केंद्र से लेकर राज्य सरकार को दे दिया था।
इस पर केंद्र ने राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की थी। खास यह है कि खान की छह या सात साल की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट नहीं भरी जा रही थी, लेकिन उन पर आज तक किसी तरह का न तो भ्रष्टाचार करने का आरोप है और न ही आज तक उन्होंने किसी आला अधिकारी से अपशब्द कहा हो। इसके बावजूद राज्य सरकार की ओर से उन्हें कंपल्सरी रिटायरमेंट देने में किसी प्रकार की कोर कसर नहीं छोड़ी गई थी।
राजस्थान के सारे आईएएस का प्रदर्शन अच्छा
केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय की ओर से पिछले तीन साल से राज्य के आईएएस अफसरों के प्रदर्शन का आंकलन कराया जा रहा है। राज्य में ऐसा कोई भी आईएएस अफसर नहीं मिला, जिसका प्रदर्शन खराब हो। राज्य सरकार की नजर में ऐसा भी कोई अफसर नहीं जोकि भ्रष्टाचार कर रहा हो।