नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार से मांग की है कि वो राफेल डील के विवरण को सार्वजनिक करे। वहीं सरकार ने इस डील को राष्ट्रीय हितों के संदर्भ में ‘गोपनीयता’ का हवाला देते हुए सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया है। बीते बुधवार को संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन के बाद भी राहुल गांधी ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार राफेल डील पर कुछ नहीं बोली। उन्होंने यहां तक कहा कि आखिर सरकार राफेल सौदे की कीमत क्यों नहीं बता रही है? इसका मतलब घोटाला हुआ है। उन्होंने इसको एक बड़ा राफेल रहस्य करार दिया।
बता दें कि इस पर सरकार ने प्रतिक्रिया दी है कि यह ‘अति गोपनीय’ मामला है। रक्षा मंत्री का कहना है कि प्रत्येक राफेल विमान के लिए प्रधानमंत्री और उनके ‘भरोसेमंद’ मित्र के बीच हुई बातचीत एक राजकीय गोपनीयता है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने फ्रांस से 36 राफेल फाइटर जेट को खरीदने का फैसला किया है। सरकार ने सितंबर 2016 में फ्रांस से इस तरह के सौदे पर हस्ताक्षर किए हैं। सितंबर 2019 से इन विमानों की डिलीवरी शुरू हो जाएगी।
वहीं इस पर सवाल ये उठता है कि क्या बीजेपी इस बात का बदला ले रही है कि साल 2005 और 2008 में जिस तरह तत्कालीन रक्षा मंत्रियों और एके एंटनी ने रक्षा सौदे से जुड़े कमर्शियल विवरणों को ‘गोपनीयता’ का हवाला देते हुए सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया था। इसी तरह साल 2007 में सीताराम येचुरी ने इजरायल से मिसाइलों की खरीद संबंधी सौदे को सार्वजनिक करने से इंकार कर दिया था। 2008 में सीपीएम सांसदों प्रशांत चटर्जी और मो अमीन ने 10 सबसे बडे डिफेंस सप्लायर और उनसे खरीद को सार्वजनिक करने की मांग की थी। इस पर एंटनी ने यह तो बताया कि रूस, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और इजरायल जैसे देशों से भारत रक्षा सामान खरीदता है लेकिन इस सामान्य जानकारी से आगे कुछ भी बताने से उन्होंने इनकार कर दिया।
साथ ही राहुल गांधी ने राफेल लड़ाकू विमान सौदा को लेकर एनडीए सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने इसे बड़ा राफेल रहस्य बताया है। साथ ही पार्टी का कहना है कि इस सौदे से घोटाले की बू आ रही है। क्योंकि सौदे में बातचीत को लेकर कोई पार पारदर्शिता नहीं है। राहुल गांधी ने सरकार पर ट्वीट के जरिए हमला बोला। उन्होंने कहा कि अति गोपनीय आरएम कहती हैं कि प्रत्येक राफेल विमान के लिए प्रधानमंत्री और उनके ‘भरोसेमंद’ मित्र के बीच हुई बातचीत एक राजकीय गोपनीयता है।