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क्या गुलमेहर विवाद की स्क्रिप्ट पहले से ही प्रायोजित थी ?

gurmehar kaur क्या गुलमेहर विवाद की स्क्रिप्ट पहले से ही प्रायोजित थी ?

उमर खालिद ने गुरमेहर का विरोध कर रहे भारतीय क्रिकेट के पूर्व हरफनमौला क्रिकेटर विरेंद्र सहवाग को लेकर कहा कि वह भारत का प्रतिनिधित्व नहीं करते जो इनकी बात को इतनी तरजीह दी जाए तो एक सवाल खुदे के लिए भी छोड़ दिया कि उन्होंने अपने खाते से भारत के नाम आखिर क्या-क्या दिया। जिससे देश उनके ऊपर गर्व कर सके। खैर उमर की पहचान जेएनयू के एक विवादित छात्र से ज्यादा कुछ भी नहीं रही है। दूसरी तरफ देश की राजधानी दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में पिछले साल 9 फरवरी को लगे देशविरोधी नारों के मामले में चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। एक टीवी चैनल की खबर के अनुसार पुलिस ने करीब 40 वीडियो फुटेज की जांच की जिसमें उन्होंने पाया कि उमर खालिद और अनिर्बान समेत कुल 9 लोग देश विरोधी नारे लगा रहे हैं। उमर और अनिर्बान को छोड़कर बाकी सभी छात्र कश्मीरी बताए गए हैं। इसी रिपोर्ट में भी यही दर्ज है कि जेएनयू कैंपस में हुए कल्चरल इवेंट की इजाज़त भी उमर खालिद ने ही मांगी थी और इसके लिए पोस्टर भी उसी ने बनवाये थे।ऐसे में यह भी सोचना जरूरी है कि ऐसे छात्र ने सहवाग की भारतीयता पर उनकी उपलब्धि पर सवाल कैसे खड़े किए।

खैर बात गुरमेहर कौर की हो रही था तो बता दें कि एक हिंदी अखबार के कुछ कटिंग सामने आए तो खबर चौंकाने वाला था जिसमें लिखा हुआ था कि गुरमेहर के दादा-दादी ने उसके बयान को बचकाना बताया है। लेकिन इससे भी नया मामला तब चौंकानेवाला था जब सोशल मीडिया पर गुरमेहर की कुछ तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिनके आधार पर कहा जा रहा है कि वो आम आदमी पार्टी से संबंध रखती हैं। एक तस्वीर में गुरमेहर के साथ फिल्ममेकर राम सुब्रमण्यम मौजूद हैं। वहीं दूसरी तस्वीरों में राम आम आदमी पार्टी के कई नेताओं के साथ नजर आ रहे हैं। उनकी तस्वीरें अरविंद केजरीवाल और अन्य आप नेताओं के साथ देखी जा रही हैं। इससे यहां तक कहा जा रहा कि गुरमेहर आप कार्यकर्ता हैं।

राम सुब्रमण्यम ने ही अपने फेसबुक पेज ‘वॉयस ऑफ राम’ पर वो वीडियो डाला था जिससे इस पूरे मामले की शुरूआत हुई थी। राम भी गुरमेहर का पूरी तरह से समर्थन कर रहे हैं। इसी को लेकर दिल्ली भाजपा ने साल 2014 चुनाव के दौरान की एक तस्वीर जारी करते हुए गुरमेहर कौर को आम आदमी पार्टी की कार्यकर्ता बताया है। इस तस्वीर में गुरमेहर कौर आम आदमी पार्टी के मीडिया सेल के सदस्य राम सुब्रमणियम के साथ दिख रही हैं।

इस सबसे पहले एक और शहीद की बेटी का वीडियो भी गुरमेहर को देख लेना चाहिए ताकि उन्हें पता चल पाए की उनके पिता को किसने मारा।

गुरमेहर कौर की इस पोस्ट का जवाब मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले मनीष शर्मा ने दिया है। जो एक शहीद के बेटे हैं। उन्होंने गुरमेहर को लिखा है कि

हाय गुरमेहर कौर,
पिछले कुछ दिनों में वायरल हुए आपके वीडियो और कुछ इंटरव्यू जिनमें आपने अभिव्यक्ति की आज़ादी की बात की और कहा है, ‘पाकिस्तान ने आपके डैड की हत्या नहीं की, युद्ध ने उन्हें मार डाला।’ इस पोस्ट के चलते आपका नाम हर घर तक पहुंच गया है।

मैं सार्वजनिक तौर पर भावनाओं की अभिव्यक्ति से बचता हूं, लेकिन इस बार लगता है कि बहुत हो गया। मुझे नहीं मालूम कि आप ये जानबूझ कर रही हैं या अनजाने में, लेकिन आपकी वजह से डिफेंस से जुड़े परिवारों की भावनाएं आहत हो रही हैं।

पहले मैं अपना परिचय दे दूं, मैं एक मल्टीनेशनल कंपनी में आईटी पेशेवर के तौर पर काम करता हूं. मेरे पिता भारतीय सेना में अधिकारी थे जो श्रीनगर में ऑपरेशन रक्षक के दौरान चरमपंथियों से संघर्ष करते हुए मारे गए थे।

मैं नहीं जानता कि मैं इसके लिए किसे दोष दूं – युद्ध को, पाकिस्तान को, राजनेताओं को और किसे दोष नहीं दूं क्योंकि मेरे पिता वहां संघर्ष कर रहे थे जो विदेशी ज़मीन ही थी क्योंकि वहां के स्थानीय लोग कहते हैं- इंडिया गो बैक।

मेरे पिता ने अपनी जान दी उन्हीं लोगों के लिए, हमारे लिए और हमारे देश के लिए। बहरहाल, हम दोनों नैतिकता के एक ही धरातल पर मौजूद हैं- आपके पिता ने भी जान दी और मेरे पिता ने भी जान गंवाई है। अब क़दम दर क़दम आगे बढ़ते हैं। आपने कहा कि पाकिस्तान ने आपके पिता को नहीं मारा, ये युद्ध था जिसने आपके पिता को मारा।

मेरा सीधा सवाल आपसे है? आपके पिता किससे संघर्ष कर रहे थे? क्या ये उनका निजी युद्ध था या फिर हम एक देश के ख़िलाफ़ लड़ रहे थे? ज़ाहिर है ये पाकिस्तान और उसकी हरकतें ही थीं, जिसके चलते आपके पिता और उनके जैसे कई सेना अधिकारियों को कश्मीर में तनावपूर्ण माहौल में अपनी जान गंवानी पड़ी।

अपने पिता की मौत की वजह युद्ध बताना तर्कसंगत लगता है, लेकिन ज़रा सोचिए उनकी मौत की कई वजहें थीं-

1. पाकिस्तान और उसका विश्वासघाती कृत्य
2. भारत के राजनीतिक नेतृत्व में राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव
3. हमारे नेतृत्व की एक के बाद एक ग़लतियां
4. धार्मिक कट्टरता
5. भारत में मौजूद स्लीपर सेल जो भारत में रहकर पाकिस्तानी आईएसआई की मदद करते हैं।
और इन सबके अलावा, उनकी मौत की वजह- अपनी ड्यूटी के प्रति उनका पैशन और उनकी प्रतिबद्धता थी। ये वजह थी।

मैं इसे एक्सप्लेन करता हूं।
आपके पिता ने अपनी जान तब गंवाई जब उनकी उम्र काफ़ी कम थी, आप महज दो साल की थीं। ये देश के प्रति उनका पैशन था, राष्ट्रीय झंडे और अपने रेजिमेंट के प्रति सम्मान का भाव जिसने उन्हें शहीद होने का साहस दिया।

नहीं तो हम लोग देख रहे हैं कि आपके पिता से ज़्यादा उम्र के लोग अभी भी जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे हैं और देश के ख़िलाफ़ काम कर रहे हैं- किसी क़ुर्बानी की इनसे उम्मीद के बारे में तो भूल ही जाइए।

क्या आपको मालूम है कि आपके पिता ने जिस कश्मीर के लिए अपनी जान दी, उसी कश्मीर की आज़ादी के लिए ये जेएनयू में नारे लगाते हैं। वे किस आज़ादी की बात करते हैं, वे कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बता रहे हैं, ये उनके लिए आज़ादी है और इसके ख़िलाफ़ हम दोनों के पिता ने संघर्ष किया था।

आगे जानें कैप्टन सौरभ कालिया के पिता ने क्यों बताया गुरमेहर के बयान को गलत

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