इधर इस बीच, करगिल युद्ध में शहीद हुए कैप्टन सौरभ कालिया के पिता एन.एन.कालिया ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखी है। उन्होंने गुरमेहर के बयान से असहमति जताई है।
उन्होंने कहा, ‘यह कहना कि ‘उनके पिता पाकिस्तान द्वारा नहीं, बल्कि जंग में मारे गए’ उनके पिता और अन्य दूसरे शहीदों द्वारा देश के लिए दिए गए बलिदान का अनादर और अपमान होगा। मैं गुरमेहर के बयान से असहमत हूं।’
हालांकि, एन.एन. कालिया ने यह कहा है कि महिला का मान-सम्मान सर्वोपरि है और जिन्होंने गुरमेहर को रेप की धमकी दी है उसे दंडित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘किसी भी धर्म और जाति की महिला का सम्मान सर्वोपरि है और गुरमेहर ने उन्हें रेप की धमकी दिए जाने का आरोप लगाया है। जिन्होंने भी यह जघन्य अपराध किया है, उन्हें कानून के तहत दंडित किया जाना चाहिए।’
अब पूरे मामले को एक बार गौर से देखें तो पता चलेगा कि इस पूरे मामले में उमर खालिद से ध्यान भटकाने के लिए गुरमेहर कौर का इस्तेमाल किया गया। राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए उसके एक साल पूराने वीडियो को फिर से सामने लाया गया। यानि देश विरोधी ताकतों को बल देने के लिए यह एक सोची समझी साजिश थी जिसके जरिए इस पूरे माहौल में आग लगाई गई और आग में घी का काम राजनीति के उन फनकारों ने किया जो किसी शहीद की शहादत पर आंसू नहीं बहाते लेकिन अफजल और मैमन की मौत पर इंसाफ की मांग जरूर करते हैं।
(गंगेश कुमार, वरिष्ठ पत्रकार)