पूर्वी लद्दाख के पैकेज से लोगों को राहत. पैकेज का सामरिक महत्व
भारत खबर, जम्मू कश्मीर-राजेश विद्यार्थी
जम्मू। चीन से एलएसी पर तनाव के बीच पूर्वी लद्दाख के नागरिकों को लिए केंद्र सरकार ने 240 करोड़ रूपये पैकेज दिए जाने की घोषणा की है। इस विशेष पैकेज को मंजूरी का मकसद पश्मीना बकरी पालकों समेत अन्य पशुपालकों को एलएसी पर सुविधाएं देना है। पश्मीना प्रोत्साहन के साथ इस पैकेज के पीछे सरहदी इलाके में सुरक्षा तंत्र को और मजबूत करने से भी जोड़कर देखा जा रहा है। पैकेज की मंजूरी मिलने के बाद उपराज्यपाल आरके माथुर ने न्योमा ब्लॉक में आधिकारिक रूप से इसकी सूचना दे दी।
केंद्र की अपनी तरफ से पहल
जम्मू। पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी और पैंगाग झील पर भारतीय सेना और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हो रही हैं। चीनी सैनिक किसी भी समय भारतीय सीमा में घुस आते हैं। आम नागरिक प्रभावित नहीं हो। इसके लिए केंद्र ने अपनी तरफ से पहल की है। इस क्षेत्र के चंगथग इलाके के लोग पलायन करने का मन बना रहे थे। चंगथन एलएसी से बिलकुल सटा हुआ है और स्थानीय लोग पश्मीना बनाने का मुख्य कार्य करते हैं। एक तरह से पश्मीना उद्योग को बढ़ावा देने के अलावा सुरक्षा तत्र को भी मजबूत किया जा रहा है। चंगथंग की पश्मीना ऊन दुनिया की बेहतरीन पशमीना का उत्पादन करती है।
चीनी सैनिकों की घुसपैठ से सहमें हैं नागरिक
जम्मू। चीनी सैनिकों की घुसपैठ से आम नागरिक सहमें हुए हैं। हालांकि भारतीय सेना चीनी सैनिकों का मुहंतोड़ जवाब दे रही है। कई सैनिक गलवान घाटी में मारे गए हैं। दो दिन पहले हुई झड़प में भी चीनी सैनिकों के घायल होने की सूचना है। चीनी सैनिक भारत की उस पोस्ट पर कब्जा करना चाहते थे, जो उंची पहाड़ी पर मौजूद हैं। जिससे भारतीय सेना की पूर्वी की पूर्वी लद्दाख में नजर रखी जा सके। इस कोशिश को भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पैकेज की घोषणा की
जम्मू। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पूर्वी लद्दाख के लिए 240 करोड़ रूपये के पैकेज की घोषणा की है। केंद्रीय गृह विभाग के सचिव अजय भल्ला ने कई विभागों के सचिवों के साथ बैठक करकेे सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पैकेज दिए जाने का फैसला किया है। इस पैकेज की घोषणा का काफी समय से इंतजार था। चीनी सैनिकों की घुसपैठ के बाद पैकेज की घोषणा को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
21 हजार वर्ग किमी में फैला है चंगथंग
जम्मू। पूर्वी लद्दाख में चंगथंग क्षेत्र एलएसी से बिल्कुल सटा हुआ है। 21 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 16 हजार आबादी तीन लाख से ज्यादा मवेशियों मौजूद हैं। इनमें से कई परिवार पश्मीना बकरी का पालन करते हैं। सुविधाओं के अभाव में पशुपालक एलएसी से पलायन करते आ रहे थे। वर्ष 2018 में केंद्र को 650 करोड़ रुपये के पैकेज का प्रस्ताव भेजा गया था। समीक्षा के बाद अब 240 करोड़ के पैकेज को मंजूरी दे दी गई है।