राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तीन दिवसीय कार्यक्रम ‘भविष्य का भारत’ के आखिरी दिन बुधवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से आरक्षण पर सवाल- आरक्षण संघ का क्या मत है,कब रहना चाहिए,अल्पसंख्यक,एससी/एसटी,क्रीमीलेयर को मिलना चाहिए? जवाब में संघ प्रमुख ने कहा कि सामाजिक विषमता को दूर करने के लिए संविधान सम्मत आरक्षण को संघ का पूरा समर्थन है।जहां तक सवाल है कि आरक्षण कब तक चलेगा तो इसे वहीं तय करेंगे जिन्हें आरक्षण मिला है।
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भागवत ने कहा,संघ का मत है कि तब तक इसको जारी रहना चाहिए। असल में समस्या आरक्षण नहीं बल्कि इस पर सियासत है, जिसके कारण इतना विवाद हो रहा है। अपने समाज में एक अंग पीछे है। शरीर तब स्वस्थ कहा जाता है जब सभी अंग दुरुस्त रहें। अगर शरीर आगे जा रहा है, पैर पीछे रह जाए तो उसे पैरालैसिस कहा जाता है।
समाज के सभी अंगों को बराबरी में लाने के लिए आरक्षण जरूरी
भागवत ने आगे यह भी कहा कि समाज के सभी अंगों को बराबरी में लाने के लिए आरक्षण जरूरी है। हजार वर्ष से यह स्थिति है कि हमने समाज के एक अंग को विफल बना दिया है। जरूरी है कि जो ऊपर हैं वह नीचे झुकें और जो नीचे हैं वे एड़ियां उठाकर ऊपर हाथ से हाथ मिलाएं। इस तरह जो गड्ढे में गिरे हैं उन्हें ऊपर लाएंगे। समाज को आरक्षण पर इस मानसिकता से विचार करना चाहिए। सामाजिक कारणों से एक वर्ग को हमने निर्बल बना दिया। स्वस्थ समाज के लिए एक हजार साल तक झुकना कोई महंगा सौदा नहीं है। समाज की स्वस्थता का प्रश्न है, सबको साथ चलना चाहिए।
सामाजिक पिछड़ेपन व जातिगत अहंकार के कारण अत्याचार की परिस्थिति बनी। उससे निपटने के लिए यह अत्याचार निरोधक कानून बना। संघ का मत है कि यह ठीक से लागू होना चाहिए और इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। लेकिन यह केवल कानून से नहीं होगा। समाज में सद्भाव व समरसता के भाव से होगा। अत्याचार, अत्याचार है। चाहे वह किसी का भी हो। इसे खत्म करने के लिए सद्भावना जगाने की आवश्यकता है।