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भारतीयों के मन में यहां की सनातन संस्कृति ही राज करती है: उमा भारती

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उज्जैन। भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन में सामाजिक समरसता, समृद्धि और विश्व कल्याण की कामना के साथ भव्य स्तर पर आयोजित तीन दिवसीय शैव महोत्सव का रविवार को समापन हुआ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी और केन्द्रीय स्वच्छता एवं जल संरक्षण मंत्री उमा भारती ने सन्तदास उदासीन आश्रम की सनातन व्यासपीठ में महोत्सव का समापन किया। इस अवसर पर कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि शैव महोत्सव एक अत्यन्त सुन्दर कार्यक्रम है और इसके सफल आयोजन के लिये सभी बधाई के पात्र हैं।

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उन्होंने कहा कि उज्जैन की महिमा का परिचय सिंहस्थ-2004 में हुआ। इतनी भीड़ को कैसे संभाला जाये, ये सोचकर उस समय सिहरन पैदा हो जाती थी। इतना भव्य आयोजन शान्तिपूर्वक हो सका, यह केवल भगवान महाकालेश्वर के आशीर्वाद से ही संभव हुआ है। सिंहस्थ के दौरान जनता जनार्दन ने अपनी आस्था का विराट रूप दिखाया था। सिंहस्थ और कुंभ का आयोजन उज्जैन, प्रयाग, नासिक और हरिद्वार में जब आयोजित होता है, तब कहीं तो भीषण सर्दी तो कहीं भीषण गर्मी होती है। कष्ट उठाने के बावजूद श्रद्धालुओं की संख्या पर उसका कोई प्रभाव नहीं होता। आत्मा अजर-अमर है, यही सोचकर लोग सारे खतरे उठाते हुए भी बड़े-बड़े देवस्थानों में दर्शन के लिये आते हैं। ये सोच ही हमारी पुरातन संस्कृति की देन है।

केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि हमारा देश इसी संस्कृति के कारण चल रहा है। भारत एकमात्र देश है, जिसने प्राचीन समय से लेकर अभी तक अपनी संस्कृति को संभालकर रखा है। भारतीयों के मन पर केवल और एकमात्र यहां की संस्कृति ही राज करती है। संस्कृति पर किसी तरह का खतरा आने पर पूजा-पाठ करने वाले पुरोहितों को भी शस्त्र उठाते हुए लोगों ने देखा है। अब भारतीय संस्कृति के पुनरूत्थान का समय आ गया है। इस देश में बसने वाले लोग सन्त, सती और शूरवीर हैं और इसी वजह से आत्मबल में पूरी दुनिया को भारत से ही शिक्षा लेनी होगी। शैव महोत्सव का आयोजन इसी पुनरूत्थान की ओर बढऩे का सार्थक प्रयास है।

सिंहस्थ की केन्द्रीय समिति के अध्यक्ष माखनसिंह चौहान ने कार्यक्रम को कहा कि शैव महोत्सव का आयोजन अदभुत और अकल्पनीय है। भगवान महाकालेश्वर की कृपा से यह आयोजन सफलतापूर्वक संभव हो सका है। उज्जैन शहर और यहां के रहवासी तो धन्य है ही लेकिन बाहर से आने वाले लोग भी बहुत भाग्यशाली हैं, जो इस आयोजन के साक्षी बने। वर्तमान में हमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, परन्तु भारतवासी पूर्ण शान्ति और संयम के साथ अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। ये भावना हमारी सनातन संस्कृति और ऋषियों के द्वारा प्रदाय की गई पूंजी है। तत्वज्ञान को चरितार्थ करने की आज के समय में आवश्यकता है। इसके लिये प्रत्येक घर और प्रत्येक जन को सक्षम बनकर एक देशव्यापी आन्दोलन को चलाना होगा, तभी हम पूर्ण विश्व को शान्ति और मानव मूल्यों का पाठ पढ़ा सकेंगे। इस तरह के आयोजन लगातार करने होंगे, तभी जन-जन के हृदय में सनातन संस्कृति और परमेश्वर के प्रति आस्था की पुनर्जागृति संभव हो सकेगी।

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