नई दिल्ली। एप आधारित टैक्सी सेवा मुहैया कराने वाली कंपनी ओला एवं उबर के ड्राइवरों की हड़ताल का आज चौथा दिन है जिसकी वजह से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना कर पड़ रहा है। कैब ड्राइवर जंतर -मंतर पर प्रदर्शन कर रहे है। वहीं दिल्ली सरकार ने इससे किनारा कर लिया है। सरकार का कहना है कि ओला एवं उबर के ड्राइवरों द्वारा की जा रही हड़ताल का दिल्ली सरकार से कोई लेना-देना नहीं है। सरकार इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी।
इस संबंध में दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा इनकी मांगें पूरी तरह से ओला एवं उबर के अधिकार क्षेत्र का विषय है। इसीलिए ड्राइवरों की मांगों को पूरा करने की जिम्मेदारी उक्त कंपनियों की ही है।
इससे पहले आज राजधानी की ऑट-टैक्सी यूनियन के पदाधिकारियों ने परिवहन मंत्री सत्येन्द्र जैन से मुलाकात कर उन्हें 70 हजार ऑटो एवं 40 हजार टैक्सियां दिल्ली की सड़कों पर उतारने का आश्वासन दिया और उनसे ओला एवं उबर ड्राइवरों की हड़ताल में नहीं शामिल होने की बात कही। इस दौरान ऑटो-टैक्सी यूनियन के पदाधिकारियों ने अपना मांग-पत्र भी सत्येन्द्र जैन को सौंपा।
इसके बाद परिवहन मंत्री ने कहा कि वे यूनियनों के मांगपत्र को स्टेट ट्रांसपोर्ट ऑटोथोरिटी बोर्ड को सौंपकर इस पर जल्द कार्रवाई करने के निर्देश देंगे। जैन ने कहा कि ऑटो-टैक्सी चालकों के बीमा,कैशलेस स्वास्थ्य सेवाएं और टॉयलेट तथा टैक्सी स्टैंड जैसी मांगों को जल्द पूरा किया जाएगा। इसके अलावा ड्राइवरों के लिए न्यूनतम शिक्षा में छूट दिलाने के लिए केन्द्र सरकार से भी संपर्क किया जाएगा लेकिन उनकी ट्रेनिंग के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा।
प्रदर्शनकारियों की मांग है कि ओबा और ऊबर कैब्स किराया बढ़ाया जाए। साथ ही वह पुराने इसेंटिव बहाल किए जाने की मांग कर रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि दिल्ली में चलने वाले कैब्स की संख्या पर लगाम लगाई जाए और उनकी लिमिट तय कर दी जाए।