चंडीगढ़। पंजाब सरकार की तरफ से नई ट्रांसपोर्ट नीति का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है और सीएम की तरफ से सीएमओ और ट्रांसपोर्ट विभाग के अधिकारियों के साथ अपने सरकारी निवास पर विशेष बैठक की गई है, जिसके बाद राज्य में हजारों बसों के पहिये थम जाएंगे। विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर कहा जा रहा है कि इस प्रवाधान को लेकर की गई बैठक में ट्रांसपोर्ट विभाग के लिए नई ट्रांसपोर्ट पॉलिसी लागू करने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया है। नए नियम के बाद पंजाब में सिर्फ सरकारी बच चलेगी और निजी बस चालकों की मनोपली खत्म हो जाएगी।
दरअसल पिछली सरकार के दौरान मोटर व्हीकल एक्ट 1988 का बड़े पैमाने पर उल्लंघन कर सरकार में शामिल ताकतवर लोगों के ट्रांसपोर्ट कारोबार को तरजीह देने के लिए निजी बसों का परमिट और रूट एक्सटेंड कर दिए थे। सरकार के इस फैसले के खिलाफ दो लोगों ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाए थे कि ट्रांसपोर्ट विभाग के अधिकारी ट्रांसपोर्ट कारोबार में माफिया और सियासी नेताओं से मिलीभगत करके परमिट जारी कर रहे हैं, जिसके तहत सात हजार से ज्यादा रूट परमिट और रूट एक्सटेंशन दिए गए हैं। हाईकोर्ट के आदेश के बाद पंजाब सरकार ने नई ट्रांसपोर्ट नीति 17 जुलाई को हाईकोर्ट में पेश कर दी थी।
आपको बता दें कि नेशनल हाईवे पर सरकारी और निजी बसों का अनुपात 50-50 फीसद और स्टेट हाईवे, जिले की मुख्य सड़कों सहित अन्य सड़कों पर ये अनुपात 60-40 का रहेगा। यानी रोडवेज की बसें 40 फीसद और निजी बसें 60 फीसद तक चल सकेंगी। जबकि पहले घाटे वाले रूट पर सरकारी बसें ही चलती थीं। नई पॉलिसी लागू होने से बादल परिवार की मलकीयत या हिस्सेदारी वाली कंपनियों जुझार कंस्ट्रक्शन एंड ट्रेवल्स प्राइवेट लिमिटेड, आर्बिट एविएशन और डबवाली ट्रांसपोर्ट कंपनी से संबंधित कई बसों के परमिट रद करने की कार्रवाई स्वाभाविक है।