जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत विवाह करने वाले लड़के-लड़कियों के घर प्रशासन की तरफ से भेजे जाने वाले नोटिस पर रोक लगा दी है।हाईकोर्ट ने प्रदेश की वसुंधरा राजे सरकार को आदेश दिया है कि वो सभी विवाह अधिकारियों से कहे कि वे विवाह के लिए आवेदन करने वाले के घर ऐसा कोई नोटिस न भेजे।राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नान्द्रजोग और जीआर मूलचंदानी की खंडपीठ ने ये आदेश कुलदीप सिंह मीणा की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। मीण ने अपनी याचिका में कहा है कि परिवारजनों की स्वीकृति नहीं मिलने के कारण लड़के-लड़कियां विशेष विवाह अधिनियम -1954 के तहत विवाह करते हैं।
याचिका में कहा गया है कि वयस्क जोड़े की ओर से इसके लिए विवाह अधिकारी के समक्ष आवेदन किया जाता है। वहीं विवाह अधिकारी संबंधित थानाधिकारी के जरिये लड़के और लड़की के निवास स्थान पर नोटिस भेज देते हैं। इसके कारण परिवार को उनके विवाह करने की जानकारी होती है और अंत में उनका विवाह मुश्किल में पड़ जाता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि इस तरह का कोई भी नोटिस घर में भेजने का प्रावधान विवाह अधिनियम में नही है इसलिए विवाह अधिकारियों की तरफ से किए जा रहे इस काम पर रोक लगाई जाए।
वहीं इस याचिका में की गई मांग का विरोध करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता धर्मवीर ठोलीया ने कहा की युगल के घर नोटिस भेजने का कारण उनके परिवार को होने जा रहे विवाह की जानकारी देना नहीं है। विवाह कराने से पहले जानना जरूरी है कि दोनों में से कोई पहले से विवाहित तो नहीं है। इसके अलावा कहीं फर्जी दस्तावेज तो पेश नहीं किए गए हैं। यदि इनकी जानकारी करे बिना विवाह कराया जाता है तो बाद में कई जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। इन जटिलताओं से दोनों पक्षों को बचाने के लिए पुलिस के जरिए सत्यापन कराया जाता है।