पटना। मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले को लेकर एक तरफ जहां पूरा विपक्ष सड़क संसद तक हंगामा कटे हुए है। ही मोदी के चिर विरोधी नीतीश कुमार के सुर कुछ अलग अंदाज बंया कर रहे हैं। नीतीश लगातार इस मामले में पीएम मोदी की शान में कसीदे पढ़ते जा रहे है। नीतीश के मोदी प्रेम से विरोध खेमें में अटकलों का दौर शुरू हो गया। सियासी पालों नीतीश और मोदी को लेकर भविष्य की सम्भावनाओं के कयासों को अब ज्यादा बल मिलने लगा है। लोगों की माने तो शायद भाजपा और जदयू आने वाले वक्त में फिर साथ में सियासत की कदम ताल करते नजर आयें।
वैसे तो नोटबंदी को लेकर बिहार सरकार में महागठबंधन अब नीतीश के बयानों के बाद दो फाड़ में बंटा दिखाई दे रहा है। इस मुद्दे को लेकर जहां सरकार में मंत्री और बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अशोक चौधरी पीएम मोदी के इस फैसले के खिलाफ आवाज बुलंद किए हैं। वही सरकार के मुखिया नीतीश कुमार का पीएम के फैसले के समर्थन में बयान के बाद बयान देना ये साफ कर रहा है कि नीतीश अपने पुराने सहयोगी दल भाजपा पर खासा मेहरबान हैं।
विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान नीतीश कुमार ने अपने चिरपरिचत अंदाज में कहा कि पीएम मोदी ने एक बड़ा एवम साहसिक कदम उठाते हुए 1000 और 500 के नोटों को प्रतिबंधित किया है। ये एक बड़ा कदम है, इस फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए। हमारी पार्टी कालेधन को रोकने केलिए काफी समय से इस तरह की मांग भी कर रही थी। इस तरह का फैसला देश की आर्थिक व्यवस्था को जल्द ही मजबूती प्रदान करेगा। हांलाकि सरकार ने पूर्व में बिना किसी तैयारी के नोटबंदी कर दी इससे थोड़ी परेशानी जरूर हुई है। लेकिन इससे एक बड़ा फायदा भी हुआ है।
एक तरफ नीतीश कुमार तारीफों के पुल बांध रहे हैं, तो दूसरी तरफ सरकार में सहयोगी राजद और कांग्रेस ने नोटबंदी पर पीएम मोदी के खिलाफ मोर्चा ही खोल रखा है। अब देखना ये होगा कहीं नोटबंदी पर स्वागत और नाराजगी के भंवर में महागठबंधन की गांठें ना खुल जायें।