वॉशिंगटन: कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए वैक्सीन की खोज जारी है. दुनिया के बड़े-बड़े वैज्ञानिक वैक्सीन की खोज में लगे हुए हैं. इसी बीच एक अच्छी खबर है. अमेरिका के फूड ऐंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने कोविड-19 के इलाज के लिए ऐंटीवायरल ड्रग रेमडेसिविर को पूरी तरह से मंजूरी दे दी है. भारत समेत कई देशों में रेमडेसिविर से कोरोना वायरस का इलाज किया जा रहा है. अब अमेरिका द्वारा पूरी तरह से मंजूरी के बाद इसके इस्तेमाल बढ़ना तय है.
कैलिफोर्निया के जिलियड साइंसेज की बनाई दवाई को अब तक सिर्फ कोविड-19 से गंभीर तरह से पीड़ित मरीजों के लिए ही इमर्जेंसी में इस्तेमाल की इजाजत दी गई थी. यही दवा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को दी गई थी जब वह कोरोना वायरस के लिए पॉजिटिव पाए गए थे. शायद इसी दवा की वजह से वह बेहद जल्द कोरोना वायरस से उबर गए। बता दें कि रेमडेसिविर ऐसी पहली दवा है, जिसे स्वास्थ्य एजेंसियों ने अस्पताल में भर्ती कोरोना वायरस के मरीजों को देने के लिए मंजूरी दी है.
रेमडेसिविर को इबोला का इलाज करने के लिए विकसित किया था. ये उस एन्जाइम को ब्लॉक करती है, जो कोरोना वायरस की डबलिंग करने में मदद करता है. इसकी वजह से वायरस शरीर में फैल नहीं पाता. शोध में पाया गया कि रेमडेसिविर ने सार्स (SARS) और मेर्स (MERS) की ऐक्टिविटी को ब्लॉक किया. रेमडेसिविर को 12 साल या उससे ऊपर की उम्र से ज्यादा के लोगों को पांच दिन के इलाज के दौरान 6 वायल में दिया जाता था. मई में दो शोध में यह पाया गया कि रेमडेसिविर से कोरोना संक्रमित जल्दी ठीक हो जता है, उसे अस्पताल में कम वक्त के लिए रहना पड़ता है. इसके बाद एफडीए ने इमर्जेंसी में ड्रग के इस्तेमाल की इजाजत दी थी.
रेमडेसिविर ऐसी पहली दवा है जिसे स्वास्थ्य एजेंसियों ने अस्पताल में भर्ती कोरोना वायरस के मरीजों को देने के लिए मंजूरी दी है. नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ की स्टडी में पाया गया था कि रेमडेसिविर से कोरोना वायरस मरीजों के अस्पताल में भर्ती रहने का दिन 5 दिन तक और मौत का रिस्क 30% तक कम हो गया.