भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म होने जा रहा है। ऐसे में चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव की तारीख की घोषणा कर दी है।
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EC ने राष्ट्रपति चुनावों की अधिसूचना जारी कर दी है । 18 जुलाई को राष्ट्रपति का चुनाव होगा। 21 जुलाई को भारत को नया राष्ट्रपति मिलेगा ।
संविधान के अनुच्छेद 62 के मुताबिक नए राष्ट्रपति के चुनाव से पहले मौजूदा राष्ट्रपति का कार्यकाल खत्म होना चाहिए। राष्ट्रपति के चुनाव के लिए संसद के दोनों सदनों के सदस्यों के साथ ही सभी राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और केंद्र शासित राज्य पुडुचेरी विधानसभा के सदस्य वोट कर सकते हैं। हालांकि राज्यसभा, लोकसभा या विधानसभाओं के मनोनीत सदस्यों को राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालने का हक नहीं हैं। इसी तरह राज्यों की विधान परिषदों के सदस्यों को भी राष्ट्रपति चुनाव में शामिल होने का हक नहीं है।
हालांकि इससे पहले 17 जुलाई 2017 को राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए वोट डाले गए थे और वोटो की गिनती 20 जुलाई को की गई थी और रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति चुने गए थे। 25 जुलाई 2017 को उन्होंने अपना पदभार ग्रहण किया था। वह देश के 14वें राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुए हैं।
ऐसे होता है राष्ट्र्पति का चुनाव
राष्ट्रपति के चुनाव में सांसदों के मतों के वैल्यू का गणित अलग है। सबसे पहले सभी राज्यों की विधानसभा के विधायकों के वोटों का वैल्यू जोड़ा जाता है। इस सामूहिक वैल्यू को राज्यसभा और लोकसभा के कुल मेंबर की कुल संख्या से भाग दिया जाता है । इस तरह जो नंबर मिलता है, वह एक सांसद के वोट की वैल्यू होती है।
देश में कुल 776 सांसद हैं ( लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर)
हर सांसद के वोट की वैल्यू 708 होती है
देश में कुल 4120 विधायक हैं
हर राज्य के विधायक के वोट की वैल्यू अलग-अलग होती है। उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट की वैल्यू 208 होती है।
किसी भी उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनने के लिए 549441 चाहिए होते हैं।