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बलरामपुर: सरयू नहर परियोजना का लोकार्पण, 30 लाख किसानों को मिलेगा लाभ

F बलरामपुर: सरयू नहर परियोजना का लोकार्पण, 30 लाख किसानों को मिलेगा लाभ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सरयू नहर परियोजना का लोकार्पण किया। आज बलरामपुर में आयोजित कार्यक्रम में पीएम मोदी ने करीब 808 किमी लंबी नहर योजना का लोकार्पण कर इसे देश को समर्पित किया।

UP में आज सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना का उद्घाटन करेंगे पीएम मोदी, इन 5 नदियों को जोड़ा जाएगा | PM Modi will inaugurate Saryu Canal National Project in UP today, these 5

पीएम मोदी ने किया सरयू नहर परियोजना का लोकार्पण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सरयू नहर परियोजना का लोकार्पण किया। आज बलरामपुर में आयोजित कार्यक्रम में पीएम मोदी ने करीब 808 किमी लंबी नहर योजना का लोकार्पण कर इसे देश को समर्पित किया। इस योजना से गोंडा, बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती समेत नौ जिलों के किसानों को लाभ होगा।

भारत दुख में है लेकिन हम अपनी गति नहीं रोकेंगे- पीएम

इस दौरान पीएम मोदी ने अपने संबोधन में सबसे पहले जनरल बिपिन रावत को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने जनरल बिपिन रावत को नमन करते हुए कहा कि उनका निधन देश के लिए बड़ी क्षति है। उनके निधन से हर देशभक्त दुखी है।  पीएम ने कहा कि देश की सीमाओं की सुरक्षाओं को बढ़ाने का काम, देश की सेनाओं को आत्मनिर्भर बनाने का अभियान, तीनों सेनाओं में तालमेल बढ़ाने का काम तेजी से आगे बढ़ता रहेगा। भारत दुख में है। लेकिन दर्द सहते हुए भी अपनी न गति रोकते हैं और न ही हमारी प्रगति।

40 से में परियोजना आधी भी पूरी नहीं हुई- सीएम योगी

वहीं इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मंच पर मौजूद रहे। इसी दौरान उन्होंने कहा कि सरयू नहर परियोजना को पूरा करने में तत्कालीन सरकार, चाहे वो कांग्रेस, सपा या बसपा की रही हो, लेकिन किसी ने रुचि नहीं ली। जिसके चलते 40 साल में भी परियोजना आधी भी पूरी नहीं हो पाई थी। सीएम ने कहा कि 1972 में मंजूरी मिली थी तब से ये परियोजना अधूरी थी। लेकिन भाजपा की सरकार आने के बाद परियोजना पूरी हो गई है। इससे लाखों किसानों के सपने सच हुए हैं।

9 जिलों के 30 लाख किसानों को लाभ होगा

बता दें कि 9802 हजार करोड़ की लागत से बनी सरयू नहर परियोजना से 9 जिलों के 30 लाख किसानों को लाभ होगा। देश की सबसे बड़ी सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना के लिए योजना आयोग ने 1972 में सहमति दी थी। 1978 में औपचारिक रूप से कार्य का प्रारम्भ किया गया। लेकिन इस पर 2017 तक मात्र 52 फीसदी कार्य हुआ।

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