फाल्गुन माह की कृष्ण चतुर्दशी को पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। इस दिन शिवभक्त अपने प्रभु के प्रेम में श्रद्धापूर्वक व्रत रखते हैं।
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लोग शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं और अपने और अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं। मान्यता है कि ‘महाशिवरात्रि’ के दिन ही शिवज्योति प्रकट हुई थी और शिव-पार्वती का विवाह हुआ था इसलिए यह दिन बहुत ज्यादा पावन है। लोग इस दिन मां पर्वती और भोलेनाथ की साथ में भी पूजा करते हैं, ऐसा करने से इंसान की हर मनोकामना पूरी होती है और कष्टों का अंत होता है
मान्यता ये भी है कि इस दिन भगवान शंकर का रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था और इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव ने तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर दिया था इसलिए इस कालरात्रि को महा शिवरात्रि कहा जाता है। इस बार ये पावन दिन 01 मार्च को है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि प्रारंभ: 1 मार्च मंगलवार को प्रातः 3:16 बजे
महाशिवरात्रि अंत: 2 मार्च बुधवार को प्रातः 10 बजे
महाशिवरात्रि की पूजा चार प्रहर में होती है
पहले पहर की पूजा-1 मार्च को 06:21 PM से 09: 27 PM
दूसरे पहर की पूजा-1 मार्च की रात्रि 09: 27 PM से 12: 33 AM
तीसरे पहर की पूजा-1 मार्च की 12: 33 AM से 03: 39 AM
चौथे पहर की पूजा-2 मार्च की 03: 39 AM से -06: 45 AM
पारण का समय-2 मार्च सुबह 06: 45 AM के बाद व्रत रखने वाले अन्न ग्रहण कर सकते हैं
महाशिवरात्रि व्रत सामग्री
गंगा जल, दूध, दही, घी, शहद, चावल, रोली, कलावा, जनेउ की जोड़ी, फूल, अक्षत, बिल्व पत्र, धतूरा, शमी पत्र, आक का पुष्प, दूर्वा, धूप, दीप, चन्दन, नैवेद्य आदि।
पूजा करने की विधि
सुबह-सुबह उठकर नहाधोकर शिवव्रत का संकल्प लेना चाहिए।
फिर पूरे प्रेम और श्रद्दा के साथ शिव जी की पूजा करनी चाहिए।
इसके बाद शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए।
आप उन्हें दूध भी अर्पित भी कर सकते हैं।
फिर भस्म का तिलक खुद भी लगाएं।
जल चढ़ाते वक्त ऊॅ नमः शिवाय अथवा शिवाय नमः का जाप करना चाहिए।
फिर शिव आरती करनी चाहिए।
संभव हो तो शिवरात्रि के दिन रूद्राभिषेक करें इससे दो गुने फल की प्राप्ति होती है।
ॐ नमः शिवाय का करें जाप
महाशिवरात्रि के दिन शिवपुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए। इसके साथ ही इस दिन रात्रि जागरण का भी विधान है। शास्त्रों के अनुसार, महाशिवरात्रि का पूजा निशील काल में करना उत्तम माना गया है।
शिवरात्रि का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, महाशिवरात्रि, फरवरी-मार्च शिवरात्रि, एक कैलेंडर वर्ष में होने वाली 12 शिवरात्रिओं में सबसे आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है। ऐसा साल में एक बार ही होता है। यह धार्मिक आयोजन फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को होता है। भगवान भोलेनाथ के शिष्य इस दिन को भक्ति और आनंद के साथ मनाते हैं। भक्त इस दिन अपने आराध्य भगवान, भगवान शिव की कृपा पाने के लिए मंदिर जाते हैं।
कमल, शंखपुष्प और बेलपत्र का है अत्यंत महत्व
महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर कमल, शंखपुष्प और बेलपत्र अर्पित करने से आर्थिक तंगी या धन की कमी के निजात मिलती है। इसके अलावा कहा जाता है कि अगर एक लाख की संख्या में इन पुष्पों को शिवजी को अर्पित किया जाए, तो सभी पापों का नाश होता है।