संगमरमर की खूबसूरत इमारत ताजमहल के लिए दुनिया में मशूहर आगरा का नाम तो आपने जरूर सुना होगा हो सकता है कि आपने शहर का दीदार भी किया हो लेकिन अगर आपने ताजनगरी का दीदार नहीं किया है तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं इस शहर की खूबसूरती और इतिहास के पन्नों में छिपी उन कहानियों के बारे में जिसे आपने शायद ही कभी सुना या पढ़ा हो।
यमुना किनारे बसे इस छोटे से शहर में कई सारे अजूबे देखने को मिलते हैं। आगरा के इतिहास की तरफ देखे तो सिकन्दर लोदी ने 1506 में इस शहर का निर्माण करवाया था। इस शहर को मुगलों का पंसददीदा जगह भी माना जाता है यह शहर अपने में कई ऐतिहासिक इमारतों का गवाह भी है, जिसमें से ताजमहल सहित लालकिला,फतेहपुर सीकरी पर्यटन स्थल है जो कई इतिहास को अपने अंदर समेटे हुए है। साथ ही यह तीन जगह यूनेस्को विश्व धरोहर में भी शामिल है।
ताजमहल की कहानी
सफेद संगमरमर की खूबसूरत इमारत ताजमहल को शाहजहां ने अपनी मोहब्बत मुमताज की याद में बनवाया था और शायद उस समय की इस बात की कल्पना कर ली थी कि भविष्य में लोग इस इमारत को प्यार की निशानी के तौर पर जानेगें। 22 साल का समय और 20 हजार से भी ज्यादा कारीगरों की मेहनत से तैयार हुई इस इमारत में हर कोने में प्यार ही प्यार बसा हुआ है। इस प्यार की इमारत में चार चांद लगाती है थोड़ी ही दूर पर बह रही यमुना नदी।
ताजमहल की बात की जाए तो इसके मुख्य द्वार पर खुदा को मोहब्बत का गवाह बनाने के लिए कुरान की आयतें खुदी हुई है। इमारत को और भी ज्यादा खूबसूरत बनाती है इसके ऊपर लगे 22 छोटे गुम्बद। ये छोटे गुम्बद ताज की शोभा का तो बढ़ा ही रहे हैं साथ ही इसके बनने की कहानी को भी बयां कर रही हैं।
फतेहपुर सीकरी
ताजमहल के बाद नंबर आता है शहर के दूसरी सबसे खास जगह का जिसका नाम है फतेहपुर सीकरी। नाम सुनकर ही दिल खुश हो जाता है कि जिस जगह का नाम ही फतेह से शुरू हो रहा हो उस जगह पर जाने के बाद वहां का आलम क्या होगा। यह जगह आगरा से महज 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। फतेहपुर सीकरी में कई सारी ऐतिहासिक इमारतें है जिसको देखने के बाद आपके मुंह के एक बार जरूर निकलेगा कि वाह क्या जगह है। यहां पर मुगल शासन काल में बनाया गया बुलंद दरवाजा विश्व धरोहरों में शुमार है। यह 53.63 मीटर ऊंचा व 35 मीटर चौड़ा है। यह लाल और शौकीन बलुआ पत्थर से बना है, नक्काशी और काले और सफेद संगमरमर द्वारा इसे सजाया गया है।
आगरा का किला करेगा दिलों को खुश
शहर में इसके बाद घूमने की जगह है आगरा का किला। शहरों के बीचों-बीच भीड़भाड़ वाली गलियों में आगरा के किले का निर्माण बादशाह अकबर ने करावाया था। दिल्ली के किले की तरह ही इस इमारत को लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है लेकिन इसे खास बनाती है इस इमारत में बनी मोती मस्जिद, दीवान-ए-आम जिसे देखते ही किसी का दिल बाग-बाग हो जाएगा। इस इमारत में जहाँगीर महल, खास महल, शीश महल एवं मुसम्मन बुर्ज भी देखा जा सकता है।
मस्जिद करेगा मन को शांत
शहर में एक और इमारत है जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है वो है जामा मस्जिद। इतिहास के पन्नों को पलट कर देखा जाए तो इस इमारत का निर्माण सन 1648 में अकबर ने बनवाया था। ऐसा माना जाता है कि इस इमारत की नक्काशी और रूपरेखा का चयन खुद अकबर ने किया था। लाल बलुआ पत्थर से बने इस मकबरे के चारों ओर सिर्फ हरियाली ही हरियाली है जो आंखों को तो सुकून देती ही है साथ ही दिल को खुश करती है।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि जो लोग आगरा घूमने के इच्छुक है और ऐतिहासिक इमारतों का दीदार करना चाहते हैं तो यहां आना घाटे का सौदा नहीं कहा जा सकता।