लखनऊ: किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को गति देने में एमएसएमई का योगदान भरपूर है। भारत की भी अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में एमएसएमई ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, कोविड काल और लॉकडाउन के कारण वर्तमान में एमएसएमई की स्थिति डगमगा रही है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग से जुड़े उद्यमी भी परेशान हैं लेकिन, सरकार लगातार इसे बढ़ावा देने की कवायद में जुटी है।
सरकारी नीतियों से उद्यमी का हौंसला तो बढ़ रहा है लेकिन उद्यमियों के सुझावों पर भी सरकार को कदम उठाने के जरूरत है। एमएसएमई से जुड़े उद्यमी क्या सुझाव दे रहे हैं, पढ़िए हमारे इस विशेष अंक में…
सभी क्षेत्रों में उद्यमी को मिले छूट
राजेंद्र अगरवाल (Special Invitee Indian Industries Association) (VEDYS Technologies Private Limited, 825, Darshan Villa, Shri Nagar, Railway Road, Hapur) का कहना है कि वर्तमान में एमएसएमई की स्थिति बहुत ही नाज़ुक है। मौजूदा समय में उद्यमी सरकार से छूट मांगना चाहता है। छूट पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि आज उद्यमी को इंटरेस्ट में छूट, इलेक्ट्रिसिटी के फिक्स्ड चार्जेज में छूट, आदि की जरूरत है। सरकार का ध्यान एमएसएमई को बढ़ाने पर है लेकिन जब तक उद्यमी नहीं बढ़ेगा तब तक उद्योग कैसे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि, मौजूदा समय में रॉ मटेरियल्स के दामों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है और मार्केट में डीमांड नाम की कोई चीज़ नहीं है। आज उद्योग और उद्यमी, दोनों लड़खड़ा रहा है, उसे सहारा चाहिए।
उन्होंने कहा कि धरातल तक पहुंचने में सरकारी योजनाओं को काफी समय लग जाता है। सरकार तो मदद करना चाहती है लेकिन अधिकारी की सोच इतर है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों की मिलीभगत से योजनाओं का लाभ एक्चुअल लोगों तक पहुंच ही नहीं पा रहा है। सरकार को इसपर लगाम लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को कमीशन लेने वालों पर सख्त से सख्त कार्यवाही करनी चाहिए जिससे उनमें डर पैदा हो।
राजेंद्र अग्रवाल ने कहा है कि निचले स्तर के अधिकारी सरकार के दावों को पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इनके खिलाफ एक्शन मोड को अपना कर, सजा देना शुरू कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि परिस्थितियां सामान्य होने पर हर उद्यमी को सर्वाइवल की लड़ाई लड़नी पड़ेगी। हालातों के मद्देनज़र आदमी की जान और उसका उद्योग, दोनों खतरे में हैं। खुद को और उद्योग, दोनों के बारे में सोच कर आगे कोई कदम उठाने की जरूरत है।
स्टैंडबाई पैकज दे गवर्नमेंट
अनूप खन्ना (Special Invitee Indian Industries Association) (M/s Bharat Packers,1- Shankarpuri Colony, Behind Dehat kotwali, Behat Road,Saharanpur) का कहना है कोविड के मद्देनज़र, उद्योग की स्थिति किसी के छुपी नहीं है। गवर्नमेंट ने सहारा दिया है लेकिन वो काफी नहीं है। सरकार को एमएसएमई पर और ध्यान देने की जरूरत है। कोरोना काल में एमएसएमई के लिए सरकार ने कदम उठाए लेकिन बैंकों ने उद्यमी के इरादों पर पानी फेर दिया। बैंकों की मन्मर्ज़ियां उद्यमी को ले डूबीं। बैंकों ने जिसे चाहा उसे लोन दिया और जरूरतमंदों को दरकिनार कर दिया।
एमएसएमई को गति देने के लिए मार्केट को क्लियर करने की जरूरत है। फैक्ट्री के सर्वाइवल के लिए सरकार को कदम उठाने की जरूरत है। अगर छोटे उद्योगों को बचना है तो उद्यमियों को स्टैंडबाई पैकज देना पड़ेगा। सरकार के कह देने से उद्यमी तक पैकज नहीं पहुंचता है, उसे धरातल पर जाकर देखने की जरूरत है। साथ ही निचले अधिकारियों पर भी सरकार को ध्यान देने की जरूरत है जिससे वे नीतियों का गलत उपयोग न करें।
उन्होंने यह भी कहा है कि बड़ी कंपनियों से छोटी एमएसएमई यूनिट बनाई हुई हैं, वो हर तरफ से फायदा ले रही हैं, सरकार को इसपर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा है कि कहीं ऐसा न हो की बड़ी मछली छोटी मछली को खा जाए। एक छोटी सी एमएसएमई यूनिट के अंडर कमसेकम 20 परिवार पलते हैं, सरकार को ये समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उद्यमियों के विकास के लिए सरकार को एक्स्ट्रा एफर्ट करनी पड़ेगी।