featured देश

मदर टेरेसा को संत की उपाधि, वेटिकन में उमड़ा जनसैलाब

Mother Teresa मदर टेरेसा को संत की उपाधि, वेटिकन में उमड़ा जनसैलाब

वेटिकन सिटी। मगरीबों के लिए काम करने वाली नन मदर टेरेसा को वेटिकन में हुए एक समारोह में संत की उपाधि दी गई। रविवार को वेटिकन के सेंट पीटर स्क्वायर में पोप फ्रांसिस ने उन्हें संत की उपाधि दी। मदर टेरेसा को संत उपाधि दिए जाने के इस मौके पर हजारों की संख्या में लोग पहुंचे थे।

Mother Teresa

वेटिकन ने 2002 में घोषित किया था कि मदर टेरेसा से प्रार्थना करने के बाद एक भारतीय महिला के पेट का ट्यूमर चमत्कारिक रूप से ठीक हो गया था। पोप फ्रांसिस ने पिछले साल उनके नाम एक और चमत्कार को मान्यता दे दी थी। इसके बाद उन्हें संत बनाए जाने का रास्ता साफ हो गया था। 2003 में उन्हें धन्य घोषित किया गया था, जो संत बनाए जाने की प्रक्रिया का पहला चरण है।

जानिए आखिर कौन थी मदर टेरेसा:-

मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 में सोप्जे मैसिडोनिया में हुआ था। 12 वर्ष की छोटी-सी उम्र में ही उन्होंने ‘नन‘ बनने का निर्णय किया और 18 वर्ष की आयु में कलकत्ता में ‘आइरेश नौरेटो नन‘ मिशनरी में शामिल हो गयी। वे सेंट मैरी हाईस्कूल कलकत्ता में अध्यापिका बनी और लगभग 20 वर्ष तक अध्यापन के द्वारा ज्ञान बांटा। लेकिन उनका मन कहीं और था। कलकत्ता के झोपड़पट्टी में रहने वाले लोगों की पीड़ा और दर्द ने उन्हें बैचेन-सा कर रहा था। देश में गरीबी और भुखमरी की स्थिति काफी गंभीर थी। बीमारी, अशिक्षा, छुआछूत, जातिवाद एवं महिला उत्पीड़न जैसी सामाजिक बुराइयां अपनी पराकाष्ठा पर थीं। इन स्थितियों ने उन्होंने आन्दोलित कर दिया। यही कारण था कि 36 वर्ष की आयु में उन्होंने अति निर्धन, असहाय, बीमार, लाचार एवं गरीब लोगों की जीवनपर्यंत सेवा एवं मदद करने का मन बना लिया। इसके बाद मदर टेरेसा ने पटना के होली फॅमिली हॉस्पिटल से आवश्यक नर्सिग ट्रेनिंग पूरी की और 1948 में वापस कोलकाता आ गईं और वहां से पहली बार तालतला गई, जहां वह गरीब बुजुर्गों की देखभाल करने वाली संस्था के साथ जुड़ गयी। उन्होंने मरीजों के घावों को धोया, उनकी मरहमपट्टी की और उनको दवाइयां दीं। धीरे-धीरे उन्होंने अपने कार्य से लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा।

कोलकता में सन् 1950 में ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ का आरम्भ मात्र 13 लोगों के साथ हुआ था पर मदर टेरेसा की मृत्यु के समय (1997) 4 हजार से भी ज्यादा ‘सिस्टर्स’ दुनियाभर में असहाय, बेसहारा, शरणार्थी, अंधे, बूढ़े, गरीब, बेघर, शराबी, एड्स के मरीज और प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों की सेवा कर रही हैं। मदर टेरेसा ने ‘निर्मल हृदय’ और ‘निर्मला शिशु भवन’ के नाम से आश्रम खोले । ‘निर्मल हृदय’ का ध्येय असाध्य बीमारी से पीड़ित रोगियों व गरीबों का सेवा करना था जिन्हें समाज ने तिरस्कृत कर दिया हो। ‘निर्मला शिशु भवन’ की स्थापना अनाथ और बेघर बच्चों की सहायता के लिए हुई। समाज के सबसे दलित और उपेक्षित लोगों के सिर पर अपना हाथ रख कर उन्होंने उन्हें मातृत्व का आभास कराया और न सिर्फ उनकी देखभाल की बल्कि उन्हें समाज में उचित स्थान दिलाने के लिए भी प्रयास शुरू किया। सच्ची लगन और मेहनत से किया गया काम कभी असफल नहीं होता, यह कहावत मदर टेरेसा के साथ सच साबित हुई।

मदर टेरेसा को मानवता की सेवा के लिए अनेक अंतर्राष्ट्रीय सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त हुए। भारत सरकार ने उन्हें पहले पद्मश्री (1962) और बाद में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ (1980) से अलंकृत किया। संयुक्त राज्य अमेरिका ने उन्हें वर्ष 1985 में मेडल आफ फ्रीडम से नवाजा। मानव कल्याण के लिए किये गए कार्यों की वजह से उन्हें 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला। उन्हें यह पुरस्कार गरीबों और असहायों की सहायता करने के लिए दिया गया था। मदर ने नोबेल पुरस्कार की धन-राशि को भी गरीबों की सेवा के लिये समर्पित कर दिया।

मदर टेरेसा ने समय-समय पर भारत एवं दुनिया के ज्वंलत मुद्दों पर असरकारण दखल किया, भ्रूण हत्या के विरोध में भी सारे विश्व में अपना रोष दर्शाया एवं अनाथ-अवैध संतानों को अपनाकर मातृत्व-सुख प्रदान किया। उन्होंने फुटपाथों पर पड़े हुए रोते-सिसकते रोगी अथवा मरणासन्न असहाय व्यक्तियों को उठाया और अपने सेवा केन्द्रों में उनका उपचार कर स्वस्थ बनाया। पीड़ित एवं दुखी मानवता की सेवा ही उनके जीवन का व्रत था। दया की देवी, दीन हीनों की माँ तथा मानवता की मूर्ति मदर टेरेसा एक ऐसी सन्त महिला थीं जिनके माध्यम से हम ईश्वरीय प्रकाश को देख सकते थे। हम उन्हें ईश्वर के अवतार के रूप में एवं उनके प्रतिनिधि के रूप में देखते हैं।

मदर शांति की पैगम्बर एवं शांतिदूत महिला थीं, वे सभी के लिये मातृरूपा एवं मातृहृदया थी। परिवार, समाज, देश और दुनिया में वह सदैव शांति की बात किया करती थीं। विश्व शांति, अहिंसा एवं आपसी सौहार्द की स्थापना के लिए उन्होंने देश-विदेश के शीर्ष नेताओं से मुलाकातें की और आदर्श, शांतिपूर्ण एवं अहिंसक समाज के निर्माण के लिये वातावरण बनाया।

Related posts

चुनाव प्रचार के लिए भुवनेश्वर जाएंगे रामनाथ कोविंद

Pradeep sharma

असम पुलिस ने गोलपारा से दो संदिग्ध आतंकी गिरफ्तार, अल-कायदा व अंसारुल्लाह बांग्ला से कनेक्शन

Rahul

दिन दहाड़े होटल में बदमाश लूट की बारदात को अंजाम दे रहे थे अंजाम,CCTV कैमरे में कैद हुई करतूत

mahesh yadav