इसके बाद अगले ही दिन जेडीयू ने बैठक कर कोविंद को समर्थन देने का फैसला कर लिया । नीतीश और मुलायम के फैसले के बाद वाईएसआर कांग्रेस और टीएसआर के अलावा बीजेडी-अन्नाद्रमुक ने भी एनडीए प्रत्याशी कोविंद के नाम पर मुहर लगा दी है। जिसके बाद अब विपक्ष के पास वोटों को लेकर बड़ा संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में विपक्ष ने अगर कोई ऐसे दमदार चेहरा ना दिया तो और भी सहयोगी टूटकर जा सकते हैं।
कोविंद बने एनडीए का मास्टर स्ट्रोक
नीतीश कुमार उससे पहले मुलायम फिर वाईएसआर कांग्रेस और टीएसआर और बीजेडी-अन्नाद्रमुक के साथ एनडीए की सहयोगी शिवसेना अब कोविंद के नाम के साथ खड़ी है। वहीं विपक्ष लगातार टूटने से कमजोर होता जा रहा है। ऐसे में अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो विपक्ष के कमजोर होने के साथ कोविंद के पास राष्ट्रपति बनने के लिए जरूरी मतों से अधिक मत प्राप्त होने की सम्भावना बनती जा रही है। कोविंद भाजपा का मास्टर स्ट्रोक माने जा रहे हैं।
जिसके बाद विपक्ष चारों खाने चित हो गया दिख रहा है। दरअसल चुनाव में कुल विधायकों की संख्या 4120 है जिसके मत 5,49,474 हैं। इसके साथ ही सांसदों की संख्या 776 है जिसके कुल वोटों की संख्या 5,49,408 है। अगर इनकी कुछ संख्या देखी जाये तो कुल वोट 1,098,882 हैं। राष्ट्रपति के लिए जीत हासिल करने वाले उम्मीदवार को 5,49,442 वोटों की जरूरत होती है। मौजूदा वक्त में एनडीए के पार 5 लाख 32 हजार वोट हैं। ऐसे में उसे महज 17422 वोटों की दरकार है। एनडीए के समर्थन दे चुकी वाईएसआर कांग्रेस के पास 17,666 वोट हैं तो वहीं टीआरएस के पास 22,480 वोट हैं इसके साथ ही अब नीतीश के ऐलान के बाद जेडीयू के पास 20 हजार 935 वोट भी एनडीए के पाले में आ गिरे हैं। वहीं बीजेडी और अन्नाद्रमुक के समर्थन के बाद वोट 6 लाख से ज्यादा कोविंद के पाले में आ सकते हैं। ऐसे में विपक्ष की हार ही नहीं बल्कि राष्ट्रपति चुनाव को लेकर 2019 के पहले विपक्ष को एकजुट करने की कांग्रेस की कवायद पर विराम लग सकता है।