साल 1988 में मालिनी अवस्थी का विवाह यूपी कैडर के आईएएस अधिकारी अवनीश अवस्थी के साथ हुआ। मालिनी अवस्थी के सामने एक हाई प्रोफाइल आईएएस अधिकारियों का समाज था। लेकिन मालिनी जी मंच में बेधक जाती लोकगीतों को प्रस्तुत करती और लगातार उनके पतिदेव इस बात के लिए उनको उत्साहित भी करते रहे। शास्त्रीय संगीत को लोकगीतों से जोड़ने का काम मालिनी जी ने बखूबी किया। उन्होने वाराणसी की ठुमरी और शास्त्रीय संगीत की मूर्धन्य विद्वान गरिजा देवी की शिष्यता ग्रहण कर उनसे काफी कुछ सीखने का प्रयास किया और जिनता सीखा उनका ही उन्होने अपनी लोकगायन की कला में जोड़ दिया।
घर की चौखट से चकाचौंध तक पहुंचा लोकगीत का सफर
मालिनी अवस्थी ने लोकगायिकी को गांवों और घरों की दहलीज से निकालकर टेलीविजन और सिनेमा तक का सफर तय कराया ही इसके साथ ही विदेशी धरती पर भी लोकगीतों का जलवा बिखेरा। इन दिनों मालिनी अवस्थी यूनेस्को की ओर से नामित सदस्य के तौर पर इस विधा के संरक्षण और संवर्धन के काम में अद्वितीय गति से लगी हुई हैं। साल 2016 में मालिनी जी को इनके इन्ही कार्यों की वजह से पद्म श्री के सम्मान से भी भारत सरकार ने विभूषित किया है। इसके साथ ही मालिनी जी भारत सरकार की कई योजनाों की ब्रांड एम्बेसडर भी है जैसे निर्वाचन आयोग और स्वच्छ भारत अभियान जैसे कई बड़े नाम भी मालिनी अवस्थी के साथ जुड़े हैं।
आज भी मालिनी जी जब मंच पर आती हैं तो लाखों हजारों की भीड़ उनके गायन को सुनन और शैली के देखने आता है। क्योंकि आज भी उनकी आवाज में गांव की उस मिट्टी की खनन और सुरों में गूंज होती है। इस विधा से उन्होने अपनी आने वाली पीढ़ी को भी जोड़े रखा था। उनके परिवार में एक बेटा और बेटी भी है। बेटा आदित्य सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता है तो बेटी ने स्वास्थ्य विज्ञान में हार्बर्ड विश्वविद्यालय से परास्नातक की डिग्री हासिल की है। इसके साथ ही वह भारत में हार्बर्ड रिसर्च इंडिया में सहायक निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। मां की प्रेरणा से मालिनी अवस्थी ने लोकगीत गायन की विधा को अपनाया ही नहीं बल्कि आगे बढ़ाया और अब मालिनी जी की प्रेरणा से उनकी बेटी अनन्या भी इसी विधा में आगे बढ़ रही हैं। अनन्या ने भी की मंचों से अपने गायन की प्रस्तुती की है। भारत खबर परिवार की ओर मालिनी अवस्थी जी और उनके परिवार लोकगीतों की इस विधा को आगे बढ़ाने और निरन्तर इसमें रमने के लिए साधुवाद देता है।
अजस्र पीयूष शुक्ला