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मौत के बाद भी इलाज करता रहा ‘टेंडर पाम अस्पताल’! शव मांगने पर परिजनों को थमाया लाखों का बिल

मौत के बाद भी इलाज करता रहा ‘टेंडर पाम अस्पताल’! शव मांगने पर परिजनों को थमाया लाखों का बिल

लखनऊ: जिले के निजी अस्पताल ‘टेंडर पाम’ की गुंडई देखने को मिली। इस अस्पताल ने मरीज की मौत के बाद परिजनों को करीब 11 लाख का बिल थमा दिया। रविवार रात को पैसा ना जमा करने पर अस्पताल ने परिजनों को धमकाया। अस्पताल ने मृतका के शव को भी परिजनों को नहीं सौंपा। डीएम अभिषेक प्रकाश की फटकार के बाद सुबह आठ बजे अस्पताल ने परिजनों को शव सौंप दिया।

उन्नाव जिला स्थित जोतपुर राजा बाजार के रहने वाले अनिल कुमार ने बताया कि गोसाईगंज स्थित टेंडर पाम अस्पताल में एक मई को अपनी पत्नी गयावती को भर्ती कराया था। परिजन जे कनिष्क के अनुसार वेंटिलेटर और आईसीयू के लिए आठ लाख रुपये जमा कराए गए और उनका कोरोना का इलाज शुरू हुआ। कुछ दिन बाद गयादेवी की तबियत ठीक बता कर उन्हें नॉन कोविड वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया।

अचानक की मौत की सूचना

पीड़ित परिजन ने आरोप लगाते हुए कहा, डॉक्टरों ने रविवार को अचानक गयावती की तबियत खराब बता कर उन्हें वेंटिलेटर पर रख दिया। इसके साथ ही एक लाख रुपये की मांग की। जब वह पैसे की व्यवस्था करके अस्पताल वापस आये तो डॉक्टरों ने गयावती की मौत की सूचना दी। उन्होंने बताया कि उनके मरीज की मौत रात आठ बजे के आसपास हुई थी। इसके बाद अस्पताल ने गयावती के शव को अपने कब्जे में ले लिया।

मृतका गयावती मौत के बाद भी इलाज करता रहा ‘टेंडर पाम अस्पताल’! शव मांगने पर परिजनों को थमाया लाखों का बिल
मृतका गयावती
DM ने लगाई फटकार

टेंडर पाम हॉस्पिटल के रिसेप्शनिस्ट अविनाश पाण्डेय से पूछा गया तो वह गोल-गोल जवाब देने लगा। हालांकि बाद में वह शव देने को तैयार हो गया। इसके बाद भी वह सुबह तक पीड़ित पर रुपये जमा करने का दबाव बनाता रहा, लेकिन जिलाधिकारी की फटकार और मीडिया के दबाव से परिजनों को सुबह आठ बजे शव मिल गया।

रात भर हॉस्पिटल के लोग गुंडई करते रहे

अपनी गुंडई पर उतारू टेंडर पाम अस्पताल प्रशासन मृतका के शव को रात भर अपने कब्जे में रखा। परिजनों के रोने, गिड़गिड़ाने के बाद भी अस्पताल प्रबंधन को तरस नहीं आया। कनिष्क के अनुसार अस्पताल प्रबंधन 75,0000 रुपये फार्मेसी और 3,25000 रुपये हॉस्पिटल चार्ज सहित कुल 10,75000 रुपये की मांग की थी।

जमीन-घर बेचकर आठ लाख इकठ्ठा किए थे

कनिष्क ने बताया कि आठ लाख रुपये की रकम को उन्होंने घर-जमीन बेच कर एकत्रित की था। इसके बाद अस्पताल ने फिर से 10 लाख 75 हज़ार की मांग की। ऐसे में वह घबरा गए और उन्हें कुछ समझ नही आ रहा था। इसके साथ ही मरीज की मौत ने परिजनों को अंदर से तोड़ दिया था। इन सबके बाद भी अस्पताल प्रबंधन अपनी मनमानी करता रहा।

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