फरात सीरिया की सबसे बड़ी नदी है। युद्ध से तबाद इस मुल्क में ये नदी लाखों लोगों के लिए जीवन रेखा है। देश के बड़े भू-भाग में यही खेती का आधार है। इसी से पाने का पानी मिलता है, और इसी से बिजली बनती है। लेकिन तीन देशों से होकर बहने वाली ये नदी सियासत के बीच ऐसी फंस गई है कि अब इस पर निर्भर रहने वाले लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। जलवायु परिवर्तन ने लोगों की परेशानी में और ज्यादा इजाफा कर दिया है।
बता दें कि फरात नदी कभी खालिद अलखमीज के जेतुन के बगीचे से होकर गुजरती थी। लेकिन जैसे-जैसे नदी में पानी कम होता चला गया। नदी बगीचे से दूर होती चली गई। पेड़ों की तो बात दूर अब खमीज के परिवार को पाने का पानी भी नसीब नहीं हो रहा है। उनका कहना है कि पीने का पानी बिल्कुल नहीं है। बच्चों के लिए पानी लाने के लिए 7 किलो मीटर चलना पड़ता है। उनका कहना है कि हमारे पास पानी नहीं है। पेड़ भी सूख गए हैं कुछ नहीं बचा है।
वहीं साहिता समुह इंजीनियर कह रहे हैं कि उत्तरी सीरिया पर एक मानवीय संकट का खतरा मंडरा रहा है। क्योंकि 10 साल से चल रहे युद्ध के बाद यहां के रहने वाले लोगों के लिए नदी का कम होता पानी इलाकों में रहने वालों के लिए सीधा खतरा बन रहा है। फरात लगभग 28 सौ किलो मीटर लंबी नदी है और इसका उद्गम तुर्की में है। वहां से निकलकर ये नदी सीरिया में दाखिल होती है और फिर इराक से निकलकर दजला से निकलती है। उसके बाद फारस की घाड़ी में गिरती है। गजला और फरात आज भी एक बड़े भूभाग की प्यास भूझाती है। लेकिन आज ये इलाका जटिल राजनीतिक भवंर में फंसा है। और कुछ तल्ख वास्तुविकताएं आड़े आ रही हैं।
फरात ज्यादा तर कुर्द इलाकों से होकर बहती है। सीरिया के कुर्दों का कहना है कि तुर्की फरात के पानी को हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है। और सीरिया के हिस्से का पानी उसे नहीं दिया जा रहा है। उनका मानना है कि तुर्की अपने बांधों में जरूरत से ज्यादा पानी रोक रहा है। वहीं तुर्की के सूत्रों का कहना है कि देश के कुछ इलाके भीषण सूखे का सामना कर रहे हैं। दक्षिण तुर्की में तो बीते 30 साल की सबसे कम बारिश दर्ज की गई है। इसलिए पानी की अपनी जरूरत को पूरा करने के बाद बाकी पानी सीरिया के लिए छोड़ रहा है। कुछ विशलेषकों का कहान है कि कुछ समय से तुर्की उत्तरी सीरिया की आर्थिक तौर पर कमर तोड़ना चाहता है।
युद्ध से जर्जर सीरिया में 60 प्रतिशत लोग हर दिन अपने खाने का इंतजाम करने के लिए रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इस साल सीरिया में जौ के उत्पादन में 12 लाख टन की कमी हो सकती है। ऐसे में जानवारों के चारे का इंतजाम करना और मुश्किल होगा। कुछ समुदायों में तो जानवर मरने भी लगे हैं।