Breaking News featured देश धर्म भारत खबर विशेष

….जानिए दीपावली पर कब शुरू हुई पटाखे जलाने की परम्परा

diwali 9 ....जानिए दीपावली पर कब शुरू हुई पटाखे जलाने की परम्परा

नई दिल्ली।  यूं तो हमारे इतिहास में दिवाली पर पटाखे जलाने की कोई परंपरा नहीं हैं, लेकिन आज के समय में बिना पटाखों के दिवाली मनाने के बारे में सोचा ही नहीं जा सकता है। बच्चों के लिए तो दिवाली का अर्थ ही पटाखों की आतिशबाजी है। पटाखों के बिना तो बच्चे दिवाली मनाने के बारे में सोच ही नहीं सकते। लेकिन क्या आपको पता है कि दिवाली पर पटाखें जलाने की परम्परा कब शुरू हुई, अगर नहीं पता तो हम आपको बता देते हैं।diwali 9 ....जानिए दीपावली पर कब शुरू हुई पटाखे जलाने की परम्परा

दिवाली पर पटाखे जलाने की परंपरा ज्यादा पुरानी नहीं है। आज से लगभग 90 साल पहले दिवाली पर पटाखे जलाने की परंपरा का आगजा हुआ था। दरअसल भारत में 20 शताब्दी की शुरूआत में पटाखों का कारोबार पहली बार शुरू हुआ था। ये कारोबार शुरू करने वाले थे पी अय्या नादर और उनके भाई शनमुगा नादर। इन दोनों भाईयों ने तमिलनाडु के शिवकाशी में पहली बार पटाखा फैक्टरी लगाई थी। इन्ही दोनों भाईयों के कारण आज शिवकाशी को पटाखों का शहर कहा जाता है। इन्होंने अनिल ब्रांड नाम से पटाखों की कंपनी की शुरुआत की और आज के समय में कई कंपनिया पटाखों के कारोबार से जुड़ी हुई है।diwali 10 ....जानिए दीपावली पर कब शुरू हुई पटाखे जलाने की परम्परा

दरअसल 1923 में इन दोनों भाईयों ने कोलकाता से माचिस बनाने की ट्रेनिंग ली और इसके बाद अपने शहर शिवकाशी में माचिस बनाने की फैक्टरी खोली और देखते ही देखते ये छोटी सी माचिस की कंपनी पटाखों की बड़ी फैक्टरी में तब्दील हो गई। इन दोनों भाईयों ने पहले सेफ्टी माचिस का उत्पादन किया। इसके बाद स्टार माचिस, कलर माचिस और पटाखें। बता दें कि आज के दौर में शिवकाशी में 90 फीसदी व्यापार पटाखें का ही होता है,जिसके चलते आज इस शहर को पटाखों का शहर कहा जाता है। हालांकि देश में दीपावली पर पटाखें जलाने की शुरुआत किस सन् में हुई इसकी स्पष्ट जानकारी तो किसी को नहीं है, लेकिन हां इतना जरूर तय हा कि ये परंपरा 60-70 साल से ज्यादा पुरानी नहीं है।diwali 11 ....जानिए दीपावली पर कब शुरू हुई पटाखे जलाने की परम्परा

कहा हुआ पटाखों का अविष्कार

पटाखों का अविष्कार चीन में हुआ था वो भी दुर्घटनावश। कहा जाता है कि चीन के एक शहर में एक रसोइए ने गलती से साल्टपीटर (पोटैशियम नाईट्रेट) आग पर डाल दिया था, जिसके कारण आग के कलर में परिवर्तन हुआ जिससे लोगों के अंदर उत्सुकता पैदा हुई और उसके बाद उस रसोइए ने आग में कोयले और सल्फर का मिश्रण डाला,जिससे काफी तेज़ आवाज के साथ रंगीन लपटें उठने लगी, बस, यहीं से आतिशबाज़ी यानी पटाखों की शुरुआत हुई।

Related posts

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोगों से कहा कि आगे भी जनता कर्फ्यू के लिए तैयार रहे

Shubham Gupta

अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने पर अड़े राहुल गांधी लेकिन संसद में करेंगे अगुआई, एक महीने का दिया समय

bharatkhabar

सत्येंद्र जैन ने किया स्पष्ट बोले, ‘दिल्ली में दोबारा नहीं लगेगा लॉकडाउन’

Samar Khan