नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस के कई आला-अफसरों को अप्रैल 1999 में पसीना ला देने वाले हाई-प्रोफाइल मॉडल जेसिका लाल हत्याकांड को लेकर देश में एक बार चर्चाओं का बाजार फिर से गरम है। हत्याकांड के दोषी सिद्धार्थ वशिष्ठ उर्फ मनु शर्मा को उनके अच्छे आचरण के इनाम में खुली जेल में स्थानांतरित कर दिया गया है। दरअसल, मनु शर्मा को तीन महीने पहले ही तथाकथित अर्द्ध खुली जेल में शिफ्ट किया गया था, इस दौरान वह सुबह आठ बजे जेल से बाहर निकलता और पूरे दिन एक एनजीओ में काम करने के बाद छ: बजे वापस तिहाड़ जेल में आ जाता था। उसके साथ पांच और लोग इसी तरीके से काम कर रहे थे। तिहाड़ प्रशासन ने मनु शर्मा समेत 6 को सम्मानित भी किया है। जेल अधिकारियों ने बताया कि मनु शर्मा को दिसम्बर 2006 में जेसिका लाल की हत्या में दोषी करार दिए जाने के बाद तिहाड़ जेल में भेजा गया था।
बता दें कि मनु शर्मा ने गिरफ्तार किए जाने के दिन से कम से कम 15 साल जेल में बिताए हैं। अपने खुले जेल हस्तांतरण आदेश के अनुसार, शर्मा को एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) सिद्धार्थ वशिष्ठ फाउंडेशन (एसवीएफ) के साथ काम करना है, जो कैदियों और उनके बच्चों के पुनर्वास के लिए काम करने का दावा करता है। ओपन-जेल के नियमों के मुताबिक, कैदियों को जेल के गेट से बाहर निकलने और हर दिन काम करने की अनुमति है। लेकिन वे शहर छोड़ नहीं जा सकते हैं या कहीं भी समय नहीं बिता सकते हैं। खास बात है कि मनु शर्मा के साथ पांच अन्य कैदियों को भी खुली जेल में स्थानांतरित कर दिया गया है। बता दें कि जिस एनजीओ में मनु शर्मा काम करता है उसमें 700 से ज्यादा वंचित बच्चों की देखभाल की जाती है, जिनके माता-पिता जेल में हैं। एनजीओ सभी कैदियों के साथ मिलकर काम करता है और उन्हें नौकरियां पाने में मदद करता है।
वहीं खुली और अर्द्ध खुली जेल की अवधारणा को समझाते हुए, एक जेल अधिकारी ने कहा कि जिनके पास अच्छे व्यवहार का रिकॉर्ड है और कम से कम 12 साल जेल में बिताए हैं वे खुली और अर्द्ध खुली जेल में स्थानांतरित करने के पात्र हैं। जेल अधिकारियों ने कहा कि जिन कैदियों को उनकी सजा के दो साल से कम समय तक सेवा दी गई है, उन्हें ऐसे स्थानान्तरण के लिए प्राथमिकता दी जाती है। तिहाड़ के अतिरिक्त इंस्पेक्टर जनरल राज कुमार ने खुली जेल में शर्मा के स्थानांतरण की पुष्टि की लेकिन उनके मामले पर टिप्पणी नहीं की।