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जन्माष्टमी पर क्यो मनाया जाता है दही हांडी उत्सव, क्या है इसका महत्व

जन्माष्टमी पर दही हांडी का महत्व जन्माष्टमी पर क्यो मनाया जाता है दही हांडी उत्सव, क्या है इसका महत्व

नई दिल्ली।  क्रष्ण जन्माष्टमी की धूम पूरे देश में देखने को मिल रही है। हर कोई कान्हा के जन्मोत्सव में व्यस्त है। जन्माष्टमी पर विशेष रुप से दही हांडी का आयोजन किया जाता है। क्रष्ण के जन्मोत्सव में दही हांडी को लेकर लोगों के अंदर काफी क्रेज देखने को मिलता है। इस दिन देश के अलग अलग कोने में दही हांडी का आयोजन किया जाता है।

जन्माष्टमी पर क्यो मनाया जाता है दही हांडी उत्सव, क्या है इसका महत्व
जन्माष्टमी पर क्यो मनाया जाता है दही हांडी उत्सव, क्या है इसका महत्व

माखन चोर

बचपन से ही श्रीकृष्ण बेहद ही नटखट थे, पूरे गांव में उन्हें उनकी शरारतों के लिए जाना जाता था। श्रीकृष्ण को माखन, दही और दूध काफी पंसद था। उन्हें माखन इतना पंसद था जिसकी वजह से पूरे गांव का माखन चोरी करके खा जाते थे। इतना ही उन्हें माखन चोरी करने से रोकने के लिए एक दिन उनकी मां यशोदा को उन्हें एक खंभे से बांधना पड़ा और इसी वजह से भगवान श्रीकृष्ण का नाम ‘माखन चोर’ पड़ा।

दही हांडी का चलन

वृन्दावन में महिलाओं ने मथे हुए माखन की मटकी को ऊंचाई पर लटकाना शुरू कर दिया जिससे की श्रीकृष्ण का हाथ वहां तक न पहुंच सके। लेकिन नटखट कृष्ण की समझदारी के आगे उनकी यह योजना भी व्यर्थ साबित हुई। माखन चुराने के लिए श्रीकृष्ण अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक पिरामिड बनाते और ऊंचाई पर लटकाई मटकी से दही और माखन को चुरा लेते थे। वहीं से प्रेरित होकर दही हांडी का चलन शुरू हुआ। दही हांडी के उत्सव के दौरान लोग गाने गाते हैं जो लड़का सबसे ऊपर खड़ा होता है उसे गोविंदा कहा जाता है और ग्रुप के अन्य लड़कों को हांडी या मंडल कहकर पुकारा जाता है।

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