Uncategorized दुनिया

अफ्रीका, फिलीपींस के मजदूरों से भारतीय संकट में, रोजगार को तरसते लोग

sad farmer kisan majdoor अफ्रीका, फिलीपींस के मजदूरों से भारतीय संकट में, रोजगार को तरसते लोग

एजेंसी, कोच्चि। मध्यपूर्व देशों की अर्थव्यवस्था में कमजोरी और भारत सरकार द्वारा संरक्षणवादी उपाय अपनाने से खाड़ी देशों में केरलवासियों की नौकरियां छिन रही हैं। माइग्रेशन एक विशेषज्ञ ने यह जानकारी दी है। तिरुवनंतपुरम स्थित सेंटर ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज के एस. इरुदया राजन ने कहा, ‘वैश्विक आर्थिक संकट के बाद खाड़ी देशों की अर्थव्यवस्था अभी तक रफ्तार नहीं पकड़ पाई है।’

उन्होंने कहा, ‘कुछ तेजी आई है, लेकिन यह साल 2008 से पहले के स्तर के बराबर नहीं है। वे वर्ल्ड कप, दुबई एक्सपो 2020 और सऊदी अरब विजन 2020 के जरिये अर्थव्यवस्था को तेजी देने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उन्हें 2008 से पहले के स्तर पर पहुंचने में वक्त लगेगा।’

राजन ने कहा, ‘वेतन में बढ़ोतरी नहीं हुई है। लेकिन नेपाल या फिलीपींस जैसे देशों के लोग कम वेतन पर भी काम करने के लिए तैयार हैं, जिसके कारण केरलवासियों की नौकरियां जा रही हैं। मैं कतर में कुछ नेपाली मजदूरों से मिला था, जो प्रतिमाह 200 डॉलर (14 हजार रुपये) की मजदूरी पर काम कर रहे हैं।’

उनके मुताबिक, फिलीपींस में शिक्षकों की सैलरी इतनी कम है कि उन्हें हाउसमेड का काम करने के लिए मध्यपूर्व आना पड़ रहा है। राजन ने कहा, ‘इससे ऐसे हालत बने कि फिलीपींस को शिक्षकों की सैलरी खाड़ी देशों में हाउसमेड को मिलने वाली सैलरी के बराबर करनी पड़ी, ताकि लोग स्वदेश लौट सकें।’

मध्यपूर्व को ह्यूमन रिसॉर्स की आपूर्ति करने वाले रिसॉर्स हंटर्स के चेयरमैन मुजीद अब्दुल्ला ने कहा, ‘भारतीय मजदूरों खासकर केरलवासियों के लिए अफ्रीका बड़ा खतरा बन रहा है।’ अफ्रीकियों को काम पर रखने के कई और कारण भी हैं।

पहला कारण
मुजीद अब्दुल्ला ने कहा, ‘अफ्रीकियों को कई काम आते हैं और उनकी भाषा पर पकड़ भी अच्छी है, जिसके कारण कंपनियां उन्हें नौकरी दे रही हैं। साथ ही, वे भारतीय मजदूरों के मुकाबले आधे से थोड़ा अधिक वेतन मिलने पर ही काम के लिए तैयार हो जाते हैं।’ सबसे ज्यादा ड्राइवर, हेल्पर्स और स्टोर वर्कर्स जैसे कामों में केरलवासियों की जगह अफ्रीकी ले रहे हैं।

अब्दुल्ला ने कहा, ‘भारतीय ड्राइवर 20,000 रुपये से अधिक सैलरी मांगते हैं, जबकि अफ्रीकी 8,000 रुपये महीने पर ही काम के लिए तैयार हो जाते हैं। इसी तरह, भारतीय सिक्यॉरिटी स्टाफ 30,000 रुपये की सैलरी मांगते हैं, जबकि अफ्रीकी 20,000 रुपये की सैलरी में ही काम के लिए तैयार हो जाते हैं।’

दूसरा अहम कारण
भारतीय मजदूरों की नौकरियां छिनने का दूसरा सबसे बड़ा कारण है भारत सरकार द्वारा अधिक न्यूनतम वेतन तय करना। उदाहरण के लिए, सऊदी अरब में भारतीय दूतावास ने बिना कौशल वाले मजदूरों के लिए 30,000 रुपये का रेफरल वेज तय किया है। अरब देश के स्थानीय परिवारों व कंपनियों के लिए यह वेतन महंगा साबित हुआ है, क्योंकि उन्हें कर्मचारियों को वेतन के अलावा खाना, रहने की जगह, ट्रांसपोर्टेशन, मेडिकल इंश्योरेंस, यूनिफॉर्म्स, पेड लीव तथा रिटर्न टिकट का खर्च भी उठाना पड़ता है।

तीसरा कारण
तीसरा बड़ा कारण खाड़ी देशों द्वारा डेमोग्राफिक बैलेंस मेंटेन करने का प्रयास है, जो भारतीय/मलयाली मजदूरों के खिलाफ जाता है। -navbharattimens.com से साभार

Related posts

पाकिस्तान में नए राष्ट्रपति के लिए चुनाव आज,पीटीआई उम्मीदवार के जीतने की संभावना

rituraj

Yogi Sarkar 2.0: आज हो सकता है मंत्रियों के विभागों का बंटवारा, जानें किसको क्या मिल सकती है जिम्मेदारी

Rahul

लावारिस कार के मिलने से न्यूयॉर्क हवाईअड्डे पर मचा हड़कंप, सेवाएं हुई बहाल

shipra saxena