देश में लगातार कोरोना वायरस के मामले बढ़ते जा रहे हैं। अब तक पूरे देश में कोरोना के मरीजों का आंकड़ा 4 लाख के पार पहुंच गया है। इस वायरस पर दुनिया भर
मुंबई: देश में लगातार कोरोना वायरस के मामले बढ़ते जा रहे हैं। अब तक पूरे देश में कोरोना के मरीजों का आंकड़ा 4 लाख के पार पहुंच गया है। इस वायरस पर दुनिया भर में दवा और वैक्सीन पर रिसर्च जारी है। इस बीच महाराष्ट्र स्थित ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स ने इस वायरस की दवा लॉन्च की है। इसकी कीमत 103 रूपये प्रति टैबलेट होगी।
कोरोना के इलाज में ये पहली खाने वाली दवा
बता दें कि शुक्रवार को कंपनी ने इस दवा के बारे में बताया था। सरकार की तरफ से भी एंटीवायरल दवा फैबिफ्लू के मार्केटिंग और मैन्यूफैक्चरिंग को अप्रूवल मिल गया है। शुक्रवार को कहा गया था कि भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीजीसीआई) से इस दवा के विनिर्माण और विपणन की अनुमति मिल गई। कंपनी का कहना है कि फैबिफ्लू पहली ऐसी खाने वाली दवा है जिसे सरकार से मंजूरी मिली है।
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कंपनी के चेयरमैन का बयान
वहीं कंपनी के चैयरमेन ग्लेमार्क फार्मास्युटिल्स के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक ग्लेन सल्दान्हा का कहना है कि सरकार ने इस दवा को ऐसे टाइम पर मंजूरी दी है जब देश में कोरोना के मरीजों की संख्या पहले के मुकाबले कई गूनी हो गई है। मरीजों की बढ़ती संख्या से स्वास्थ्य प्रणाली काफी दबाव में है। दवाई को लेकर उन्होंने उम्मीद जताई है कि फैबिफ्लू दवा कोरोना के इलाज में काफी हद तक काम करने में मददगार मिलेगी।
वहीं इससे पहले कोरोना के इलाज में रेमडेसिविर और दूसरी दवाईयों का इस्तेमाल किया गया था। लेकिन उस दवा का इस्तेमाल लोगों की बॉडी में चढ़ाने के तौर पर किया जाता था। फैबिफ्लू पहली ऐसी दवाई है जिसे खाने में इस्तेमाल किया जाएगा। रेमडेसिविर के अलावा डेक्सामेथासोन नाम की दवा से कुछ अच्छे नतीजे सामने आए थे। डेक्सीमेथासोन एक तरह का स्टेरेयॉड है। ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्च में इस दवा के कुछ अच्छे नतीजे सामने आए थे।
साथ ही अब फैबिफ्लू दवा को मंजूरी मिल गई है। अब देखना होगा कि ये दवा कोरोना संकट में किस तरह से मदद कर पाती है? अगर ये दवा वायरस से लड़ने में मददगार साबित होती है तो कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जल्द सफलता मिलने की उम्मीद जगेगी।