नई दिल्ली। मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद की रिहाई के बाद केंद्र सरकार के सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान की एक न्यायिक सस्था की ओर से सईद को रिहा कराने के दोहरापन नजर आता है। न्यायिक संस्था का आदेश देखते हुए लगता है कि पाक आतंकवाद के मुद्दों पर किस तरह अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आखों में धूल झोंक रहा है। आतंकी ढांचों को तबक करने और अपनी जमीन का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए नहीं होने के मामले में पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय को दिए गए आश्वासनों पर खरा उतरना होगा।
बता दें कि जब प्रांत के न्यायिक समीक्षा बोर्ड ने सईद की कुछ दिन में समाप्त हो रही 30 दिन की नजरबंदी के बाद उसकी रिहाई का आदेश दिया। न्यायमूर्ति अब्दुल समी खान की अध्यक्षता वाले पाकिस्तानी बोर्ड ने अपने आदेश में कहा था, ‘सरकार को जमात प्रमुख हाफिज सईद को छोड़ने का आदेश दिया जाता है यदि वह किसी अन्य मामले में वांछित नहीं है।’ इस बोर्ड में लाहौर हाईकोर्ट के न्यायाधीश हैं। इसके कुछ घंटे बाद भारत की यह तीखी प्रतिक्रिया आई। सईद की रिहाई 26/11 के मुंबई आतंकी हमलों की बरसी के साथ हो सकती है। इन हमलों में 166 लोग मारे गए थे।
पाकिस्तान में आतंकियों के लिए खुला माहौल एक सूत्र ने कहा, ‘रिहाई का आदेश केवल यह दिखाता है कि पाकिस्तान दूसरे देशों के खिलाफ गतिविधियों में संलिप्त आतंकवादियों को खुला माहौल प्रदान करता है और सईद, जो आतंकवादी घोषित है, के मामले में यह भी दिखाई देता है कि आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान किस तरह अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आंखों में धूल झोंक रहा है।’ एक अन्य सूत्र ने कहा कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आश्वासन देता रहता है कि वह आतंकवाद से निपटने के लिए समस्त प्रयास कर रहा है लेकिन वह कभी अपने आश्वासनों को हकीकत में नहीं बदलता और सईद इस बात का एक उदाहरण है।